आये तेरे भवन, देदे अपनी शरण
आये तेरे भवन,
देदे अपनी शरण।
रहे तुझ में मगन,
थाम कर यह चरण।
तन मन में भक्ति ज्योत तेरी,
हे माता जलती रहे॥
आये तेरे भवन, देदे अपनी शरण।
रहे तुझ में मगन, थाम कर यह चरण।
तन मन में भक्ति ज्योत तेरी,
हे माता जलती रहे॥
उत्सव मनाये, नाचे गाये
चलो मैया के दर जाएँ।
जय माता दी, जय माता दी
जोर से बोलो, जय माता दी
चारो दिशाए चार खम्बे बनी हैं
मंडप पे आसमां की चादर तनी है।
सूरज भी किरणों की माला ले आया
कुदरत ने धरती का आँगन सजाया।
करके तेरे दर्शन, झूमे धरती गगन
सन-नन गाये पवन,
सभी तुझ में मगन
तन मन में भक्ति ज्योत तेरी,
हे माता जलती रहे॥
फूलों ने रंगों से रंगोली सजाई
सारी धरती ये महकायी।
जय माता दी, जय माता दी
जोर से बोलो, जय माता दी
चरणों में बहती है गंगा की धारा
आरती का दीप लगे हर एक सितारा।
पुरवाइयां देखो चंवर कैसे डुलाये
ऋतुएँ भी माता का झुला झुलायें।
पा के भक्ति का धन,
हुआ पावन यह मन
कर के तेरा सुमिरन,
खुले अंतर नयन
तन मन में भक्ति ज्योत तेरी,
हे माता जलती रहे॥
आये तेरे भवन,
देदे अपनी शरण।
रहे तुझ में मगन,
थाम कर यह चरण।
तन मन में भक्ति ज्योत तेरी,
हे माता जलती रहे॥
Aaye Tere Bhawan, Dede Apni Sharan
Anuradha Paudwal
Durga Bhajan
- अम्बे तू है जगदम्बे काली - दुर्गा माँ की आरती
- या देवी सर्वभूतेषु मंत्र - दुर्गा मंत्र - अर्थ सहित
- अयि गिरिनंदिनि - महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र
- जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
- दुर्गा चालीसा - नमो नमो दुर्गे सुख करनी
- जगजननी जय जय माँ - अर्थसहित
- जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय
- आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं
- आये तेरे भवन, देदे अपनी शरण
- भोर भई दिन चढ़ गया, मेरी अम्बे
- मन लेके आया मातारानी के भवन में
- माँ जगदम्बा की करो आरती
- आरती माँ आरती, नवदुर्गा तेरी आरती
- मंगल की सेवा सुन मेरी देवा - कालीमाता की आरती
- मात अंग चोला साजे, हर एक रंग चोला साजे
- धरती गगन में होती है, तेरी जय जयकार
- अयि गिरिनन्दिनि अर्थसहित - महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र अर्थ सहित
- दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
- कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे
- तेरे दरबार में मैया ख़ुशी मिलती है
- सच्ची है तू सच्चा तेरा दरबार
- मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती
- चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है
- तुने मुझे बुलाया, शेरावालिये