बम भोले, बम भोले - यही वो तंत्र है

Bum Bhole – Yahi Wo Tantra Hai – Lyrics in Hindi with Meanings

बम भोले, बम भोले – यही वो तंत्र है

ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय
बम भोले, बम भोले, बम बम बम
बम भोले, बम भोले, बम बम बम


यही वो तंत्र है, यही वो मन्त्र है
प्रेम से जपोगे तो मिटेंगे सारे गम

बम भोले, बम भोले, बम बम बम
बम भोले, बम भोले, बम बम बम


कभी योगी, कभी भोगी, कभी बाल ब्रह्मचारी
कभी आदिदेव, महादेव त्रिपुरारी
कभी शंकर, कभी शम्भू, कभी भोले भंडारी,
नाम है अनंत तेरे जग बलिहारी

शिव का नाम हो, सुबह शाम हो
जपते रहो जब तक दम में है दम
बम भोले, बम भोले….


दक्ष प्रजापति जब अहंकारा, त्रिशूल से शीश उतारा
माफ़ी मांगी होश में आयो, बकरे का तब शीश लगायो

आशुतोष भोले बाबा भए प्रसन्न,
बकरे ने मुख से जो बोली बम बम
बम भोले, बम भोले…


(स्तोत्र – शिव रुद्राष्टकम से)
कलातीत कल्याण कल्पान्त कारी, सदा सज्जनानन्द दाता पुरारी॥
चिदानन्द संदोह मोहा पहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

ध्यान लगाई के, ज्योत जलाई के
शिव को पुकारते चलो जी हर दम
बम भोले, बम भोले….


खेल रही है जटा में गंगा, तन पे खाल बगम्बर अंगा
बाजे डमरू पिकर भंगा, मेरो जोगी मस्त मलंगा

भक्त मांगे तेरी नज़रे करम
बम भोले, बम भोले…..


यही वो तंत्र है, यही वो मन्त्र है, प्रेम से जपोगे तो मिटेंगे सारे गम
बम भोले, बम भोले, बम बम बम। बम भोले, बम भोले, बम बम बम
ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय


Bum Bhole Bum Bhole Yahi Wo Tantra Hai


Shiv Bhajan



बम भोले, बम भोले – यही वो तंत्र है भजन का आध्यात्मिक अर्थ

यही वो तंत्र है, यही वो मंत्र है, प्रेम से जपोगे तो मिटेंगे सारे गम
यह तंत्र (साधना) है, यह मंत्र (पवित्र मंत्र) है। प्रेमपूर्वक इसका जाप करो तो सारे दुख दूर हो जाते हैं।

बम भोले, बम भोले, बम बम बम
“बम भोले” भगवान शिव को समर्पित भक्ति गीतों के दौरान कहे जाने वाले शब्दों को संदर्भित करता है।

यह श्लोक भक्ति की शक्ति और भगवान शिव के पवित्र मंत्र के जाप पर जोर देता है। यह सुझाव देता है कि भगवान शिव के नाम का ईमानदारी से और प्रेमपूर्वक जाप करने से व्यक्ति सभी दुखों और चुनौतियों से राहत पा सकता है।

कभी योगी, कभी भोगी, कभी बाल ब्रह्मचारी, कभी आदिदेव, महादेव त्रिपुरारी
कभी-कभी, भगवान शिव एक योगी (तपस्वी) का रूप धारण करते हैं, कभी-कभी वे सांसारिक सुखों (भोगी) का आनंद लेते हैं। वह एक युवा ब्रह्मचारी (बाल ब्रह्मचारी) या आदिदेव, देवताओं के महान देवता (महादेव), और राक्षस त्रिपुरासुर (त्रिपुरारी) के विनाशक के रूप में प्रकट होते हैं।

कभी शंकर, कभी शम्भू, कभी भोले भंडारी, नाम है अनंत तेरे जग बलिहारी
उन्हें शंकर, शंभू और पवित्र गंगा (भोले भंडारी) के दयालु धारक के रूप में भी जाना जाता है। हे शिव, आपका नाम अनंत है, और दुनिया आपकी भक्त है।

यह श्लोक भगवान शिव की विभिन्न अभिव्यक्तियों और पहलुओं का वर्णन करता है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि वह कैसे अलग-अलग भूमिकाएँ और रूप धारण कर सकते है, एक ध्यानमग्न संन्यासी से लेकर जीवन का एक चंचल आनंद लेने वाला, एक युवा ब्रह्मचारी से लेकर परम दिव्य शक्ति और बुराई का नाश करने वाला। यह उनके दिव्य अस्तित्व की असीमित प्रकृति पर जोर देते हुए उनके कई नामों और विशेषताओं को स्वीकार करता है।

शिव का नाम हो, सुबह शाम हो, जपते रहो जब तक दम में है दम
सुबह-शाम शिव का नाम आपके साथ रहे। जब तक आपके शरीर में सांस है तब तक उनका नाम गाते रहें। दूसरे शब्दों में, जीवन भर भगवान शिव का नाम जपते और गाते रहें।

यह श्लोक भगवान शिव के प्रति निरंतर भक्ति को प्रोत्साहित करता है, भक्त से सुबह से शाम तक और जब तक वे जीवित हैं, भक्ति और समर्पण के साथ उनके नाम का जप करने का आग्रह करता है। यह भक्ति की शाश्वत प्रकृति और परमात्मा की निरंतर याद की शक्ति पर जोर देता है।

दक्ष प्रजापति जब अहंकारा, त्रिशूल से शीश उतारा
माफ़ी मांगी होश में आयो, बकरे का तब शीश लगायो
आशुतोष भोले बाबा भए प्रसन्न,
बकरे ने मुख से जो बोली बम बम

जब दक्ष प्रजापति (हिंदू धर्म में एक पौराणिक व्यक्ति) अहंकारी हो गए, तो भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से उनका सिर काट दिया। दक्ष को होश आ गया और उसने क्षमा मांगी। दक्ष के अनुरोध पर, भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने एक बकरे का सिर लगा दिया। दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले भगवान शिव प्रसन्न हो गये। तभी बकरे ने अपने मुँह से “बम बम” का नारा लगाया।

यह श्लोक दक्ष प्रजापति के अहंकार और भगवान शिव द्वारा उनकी क्षमा की घटना का वर्णन करता है। यह शिव की परोपकारिता और उनसे क्षमा चाहने वालों को क्षमा करने और आशीर्वाद देने की तत्परता पर प्रकाश डालता है।

यह पंक्तियाँ शिव रुद्राष्टकम से है
कलातीत कल्याण कल्पान्त कारी, सदा सज्जनानन्द दाता पुरारी॥
चिदानन्द संदोह मोहा पहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥
भगवान शिव समय (कलातीत) की सीमाओं से परे हैं, जो शुभता (कल्याण) प्रदान करते हैं, समय के अंत (कल्पांत) के निर्माता हैं। वह सदैव प्रसन्न रहने वाला, सज्जनों को आनंद देने वाला (सज्जानंद दाता पुरारी) है। वह अज्ञानता और भ्रम के पहाड़ को हटा देता है, और मैं उनसे आशीर्वाद और कृपा के लिए प्रार्थना करता हूं।

यह श्लोक सर्वोच्च और शाश्वत अस्तित्व के रूप में भगवान शिव के दिव्य गुणों और भूमिका की प्रशंसा करता है। यह उसे शुभता और आनंद का स्रोत, अज्ञानता को दूर करने वाला और समय से परे जाने वाला बताता है।

ध्यान लगाई के, ज्योत जलाई के, शिव को पुकारते चलो जी हर दम
एकाग्रचित्त ध्यान और भक्ति की लौ से निरंतर भगवान शिव को पुकारते रहो।
यह श्लोक भगवान शिव के निरंतर ध्यान, भक्ति और स्मरण को प्रोत्साहित करता है। यह किसी के दिल में प्रेम और समर्पण की लौ जलाए रखने और हर समय ईमानदारी से शिव को पुकारने के महत्व पर जोर देता है।

खेल रही है जटा में गंगा, तन पे खाल बाघम्बर अंगा
पवित्र नदी गंगा भगवान शिव की जटाओं में चंचलतापूर्वक बह रही है। वह अपने शरीर पर बाघ की खाल पहनते हैं, और वह श्मशान घाट की राख (बागंबर अंग) से सुशोभित होते हैं।

बाजे डमरू पिकर भंगा, मेरो जोगी मस्त मलंगा, भक्त मांगे तेरी नज़रे करम
वह डमरू बजाता है और भांग (एक पारंपरिक नशीला पेय) पीने का आनंद लेता है। मेरा योगी (तपस्वी) दिव्य प्रेम में आनंदित और मतवाला है। भक्त आपकी कृपा दृष्टि और आशीर्वाद चाहता है।

यह श्लोक भगवान शिव के अद्वितीय और दिव्य स्वरूप को दर्शाता है। इसमें बताया गया है कि कैसे गंगा नदी उनके जटाओं से बहती है, कैसे वह बाघ की खाल पहनते हैं, और श्मशान की राख उनके त्यागी स्वभाव का प्रतीक है। यह उन्हें एक आनंदित और तपस्वी के रूप में चित्रित करता है जो अपने दिव्य नृत्य के हिस्से के रूप में डमरू बजाने और भांग का सेवन करने का आनंद लेता है। भक्त भक्ति की इन अभिव्यक्तियों के माध्यम से उनकी कृपा और आशीर्वाद चाहता है।

कुल मिलाकर, ये भजन गीत भगवान शिव के प्रति भक्ति और प्रशंसा को खूबसूरती से व्यक्त करते हैं, उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करते हैं और उन पर निरंतर भक्ति और ध्यान को प्रोत्साहित करते हैं।


Shiv Bhajan