Everything is OM
ईश्वर या परब्रह्मका प्रतीक ॐ है
मनुष्यकी त्रिगुणात्मक प्रकृति सर्वत्र ॐ से ही परिव्याप्त है।
अनन्त कोटि ब्राह्मणोंका अधिष्ठान ॐ से ही हुई है।
इस भौतिक जगत्की उत्पत्ति ॐ से ही हुई है।
ईश्वर या परब्रह्मका प्रतीक ॐ है
मनुष्यकी त्रिगुणात्मक प्रकृति सर्वत्र ॐ से ही परिव्याप्त है।
अनन्त कोटि ब्राह्मणोंका अधिष्ठान ॐ से ही हुई है।
इस भौतिक जगत्की उत्पत्ति ॐ से ही हुई है।
स्वच्छता दो प्रकारकी होती है एक तो बाह्य दूसरी आंतरिक। दोनों प्रकारकी स्वच्छताओंका मनुष्य के जीवनपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
इसलिये मनसे और शरीरसे स्वच्छ रहना मनुष्यका कर्तव्य है।
मनमें बुरे विचारोंको न आने देकर पवित्र विचार करना मानसिक अथवा आंतरिक स्वच्छता है।
भगवान् शिवने यक्षरूपसे अवतार धारण किया था।
भगवान्का यह यक्षावतार अभिमानियोंके अभिमानको दूर करनेवाला तथा साधु पुरुषोंके लिये भक्तिको बढ़ानेवाला है।
भगवान् शंकर ही परम शक्तिमान् हैं, वे ईश्वरोंके भी ईश्वर हैं। उनके बलसे ही सभी बलवान् हैं, उनकी लीला अपरम्पार है।
सत्य और मिथ्या इन दोंनोंमें लोग सत्य को ही चाहते हैं।
जब तक हम सांसारिक वस्तुओंको सत्य समझते हैं तब तक उनको अधिक से अधिक पानेकी आकांक्षा करते हैं,
किन्तु जब वही वस्तुएं हमारी बुद्धिमें असत्य प्रमाणित हो जाती हैं, तब उनके प्रति किसी तरह का आकर्षण नहीं रहता।
नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर माँ के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। इन नव दुर्गा को पापों के विनाशिनी कहा जाता है।
शैलपुत्री (Shailaputri)
व्रह्मचारणी (Brahmacharini)
चन्द्रघन्टा (Candraghanta)
कूष्माण्डा (Kusamanda)
स्कन्दमाता (Skandamata)
देवी शैलपुत्री नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं।
शैलपुत्री दुर्गा का महत्त्व और शक्तियाँ अनन्त हैं।
नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।
Navdurga – Maa Shailputri – (Katha, Mantra, Stuti) Read More »
माँ दुर्गा दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है।
नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है।
ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी, तप का आचरण करने वाली।
देवी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, सदाचार व संयम की वृद्धि होती है।
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