Tune Raat Gawai Soi Ke
तूने रात गँवायी सोय के,
दिवस गँवाया खाय के।
हीरा जनम अमोल था,
कौड़ी बदले जाय॥
तूने रात गँवायी सोय के,
दिवस गँवाया खाय के।
हीरा जनम अमोल था,
कौड़ी बदले जाय॥
साई की नगरिया जाना है रे बंदे
जाना है रे बंदे
जग नाही अपना, जग नाही अपना,
बेगाना है रे बंदे
जाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे
दुर्बल को ना सतायिये,
जाकी मोटी हाय।
बिना जीब के हाय से,
लोहा भस्म हो जाए॥
दिवाने मन भजन बिना दुख पैहौ॥
पहिला जनम भूत का पै हौ
सात जनम पछिताहौ।
कॉंटा पर का पानी पैहौ
प्यासन ही मरि जैहौ॥
राम बिनु तन को ताप न जाई
जल में अगन रही अधिकाई।
राम बिनु तन को ताप न जाई॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥
नैया पड़ी मंझधार,
गुरु बिन कैसे लागे पार।
अन्तर्यामी एक तुम्ही हो,
जीवन के आधार।
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभु जी, कौन उतारे पार॥
बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे, भजन बिना रे॥ बाल अवस्था खेल गवांयो।
जब यौवन तब मान घना रे॥
बहुरि नहिं आवना या देस॥
जो जो ग बहुरि नहि
आ पठवत नाहिं सेंस।
सुर नर मुनि अरु पीर औलिया
देवी देव गनेस॥
केहि समुझावौ सब जग अन्धा॥
इक दु होयॅं उन्हैं समुझावौं
सबहि भुलाने पेटके धन्धा।
पानी घोड पवन असवरवा
ढरकि परै जस ओसक बुन्दा॥