Meera ke Bhajan – Prarthana

हरि तुम हरो जन की भीर
तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी
प्रभुजी मैं अरज करूँ
मीराको प्रभु साँची दासी बनाओ
मैं तो तेरी सरण परी रे
हरि बिन कूण गती मेरी
अब मैं सरण तिहारी जी

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Meera ke Bhajan – Darshan-anand

मैं तो साँवरेके रंग राची
पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
माई री मैं तो लियो गोबिंदो मोल
या मोहनके मैं रूप लुभानी

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