Mere to Girdhar Gopal

जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु, आपनो न कोई॥
कोई कहे कारो, कोई कहे गोरो
लियो है अँखियाँ खोल

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