Mere to Girdhar Gopal
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु, आपनो न कोई॥
कोई कहे कारो, कोई कहे गोरो
लियो है अँखियाँ खोल
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु, आपनो न कोई॥
कोई कहे कारो, कोई कहे गोरो
लियो है अँखियाँ खोल
जागो बंसीवारे ललना,
जागो मोरे प्यारे॥
रजनी बीती भोर भयो है
घर घर खुले किवारे |
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान॥
मीरा दासी शरण तिहारी,
सुनिये दोनों कान॥
दरद की मारी बन-बन डोलूं
बैद मिल्या नहिं कोय।
मीरा की प्रभु पीर मिटेगी
जद बैद सांवरिया होय॥