Naiya Padi Majhdhar

नैया पड़ी मंझधार,
गुरु बिन कैसे लागे पार।
अन्तर्यामी एक तुम्ही हो,
जीवन के आधार।
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभु जी, कौन उतारे पार॥

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