Sunderkand – 20
लछिमन बान सरासन आनू।
सोषौं बारिधि बिसिख कृसानु॥
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति।
सहज कृपन सन सुंदर नीति॥
हे लक्ष्मण! धनुष बाण लाओ। क्योंकि अब इस समुद्रको बाणकी आगसे सुखाना होगा॥
लछिमन बान सरासन आनू।
सोषौं बारिधि बिसिख कृसानु॥
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति।
सहज कृपन सन सुंदर नीति॥
हे लक्ष्मण! धनुष बाण लाओ। क्योंकि अब इस समुद्रको बाणकी आगसे सुखाना होगा॥
हनुमानजी का सीता शोध के लिए लंका प्रस्थान
सिताजीने हनुमानको आशीर्वाद दिया
हनुमानजी ने श्रीराम को सीताजी का सन्देश दिया
भगवान् श्री राम की महिमा
समुद्र की श्री राम से विनती
सुनहु पवनसुत रहनि हमारी।
जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा।
करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥
तब देखी मुद्रिका मनोहर।
राम नाम अंकित अति सुंदर॥
चकित चितव मुदरी पहिचानी।
हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥
सुनि सुत बध लंकेस रिसाना।
पठएसि मेघनाद बलवाना॥
मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही।
देखिअ कपिहि कहाँ कर आही॥
हनुमानजी का सीता शोध के लिए लंका प्रस्थान
हनुमानजी और विभीषण का संवाद – श्रीराम की महिमा
हनुमान ने सीताजीको रामचन्द्रजीका सन्देश दिया
लंका दहन – हनुमानजी ने लंका जलाई
प्रभु श्री रामचंद्रजी की महिमा
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