Morning Mantra
प्रात: कर-दर्शन
सुबह नींद से जागने के बाद सबसे पहले अपनी हथेलियोंको देखकर यह मंत्र बोलना चाहिये।
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्।
- कराग्रे वसते लक्ष्मी: – हाथके अग्रभागमें (आगे वाले भाग में – उँगलियों में) लक्ष्मी का निवास है।
- कर – हाथ, हथेली
- करमध्ये सरस्वती – हाथके मध्यमें सरस्वती और
- करमूले तु गोविन्दः – हाथके मूलभागमें गोविन्द निवास करते हैं,
- प्रभाते करदर्शनम् – इसलिये प्रातःकाल (सुबह) दोनों हाथोंका दर्शन करना चाहिये
हाथ के सामने वाले भाग में (अर्थात् उँगलियों में) लक्ष्मी का का निवास है, हाथ के मध्य में सरस्वती और हाथ के मूलभाग में (अर्थात् कलाई के पास) गोविन्द (श्री कृष्ण, भगवान विष्णु) का निवास है। इसलिए प्रात:काल कर का (हाथोंका) दर्शन करना चाहिए।
पृथ्वी माताकी प्रार्थना
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे।
दीप दर्शन
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते॥
दीपज्योति: परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते॥
हे दीपज्योति (दीपक का प्रकाश), तू शुभ करनेवाली, कल्याण करनेवाली, आरोग्य और धनसंपदा देनेवाली है। शत्रुबुद्धि का विनाश करनेवाली दीपज्योति, तुझे नमस्कार।
दीपक का प्रकाश (दीपज्योति) परब्रह्म का रूप (परब्रह्म है), दीपज्योति जनार्दन (भगवान् विष्णु) का रूप है, तू हमारे अज्ञान रूपी पापों का नाश करती है। हे दीपज्योति, आपको प्रणाम है, नमस्कार है।