दया कर दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना

Daya Kar Daan Bhakti Ka – Lyrics in Hindi

दया कर दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना

दया कर दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना।
दया करना, हमारी आत्मा को शुद्धता देना॥


हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ।
अंधेरे दिल में आकर के परम ज्योति जगा देना॥
दया कर, दान भक्ति का….


बहा दो प्रेम की गंगा, दिलो में प्रेम का सागर।
हमें आपस में मिलजुल कर, प्रभु रहना सिखा देना॥
दया कर, दान भक्ति का….


हमारा धर्मं हो सेवा, हमारा कर्म हो सेवा
सदा ईमान हो सेवा, हो सेवकचर बना देना।
(Or सफल जीवन बना देना)
दया कर, दान भक्ति का….


वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना।
वतन पर जा फ़िदा करना, प्रभु हमको सिखा देना॥
दया कर, दान भक्ति का….


दया करना, हमारी आत्मा को शुद्धता देना
दया कर, दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना
दया कर, दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना


Daya Kar Daan Bhakti Ka


Prayer Songs



दया कर दान भक्ति का प्रार्थना गीत हमें क्या सिखाता है?

दया, दान और भक्ति

दया कर दान भक्ति का” हिंदी में एक लोकप्रिय प्रार्थना और भक्ति भजन है, जो करुणा, उदारता और भक्ति के गुणों का महत्व हमें बताती है।

यह भजन व्यक्तियों को दया, दान और परमात्मा के प्रति निस्वार्थ भक्ति के कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

भजन किसने लिखा और उसके संगीतकार की उत्पत्ति भिन्न हो सकती है, क्योंकि भक्ति गीत अक्सर पीढ़ियों से चले आते हैं और इसके कई संस्करण होते हैं।

हालाँकि, यह भजन व्यापक रूप से धार्मिक समारोहों, मंदिरों और आध्यात्मिक आयोजनों में गाया जाता है।

हमें जीवन कैसे जीना चाहिए?

“दया कर, दान भक्ति का” के बोल एक सदाचारी जीवन जीने और निस्वार्थ कर्म करने के महत्व पर जोर देते हैं।

यह व्यक्तियों से आग्रह करता है कि वे दूसरों के प्रति करुणा पैदा करें, दान और सेवा के कार्यों में संलग्न हों, और परमात्मा को सच्ची और निस्वार्थ भक्ति से याद करें।

भजन श्रोताओं को आध्यात्मिक विकास और ज्ञान प्राप्त करने के साधन के रूप में दया, उदारता और भक्ति जैसे गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

दया कर दान भक्ति का प्रार्थना एक पावरफुल प्रेयर क्यों है?

यह निःस्वार्थ कार्यों के महत्व और परमात्मा के साथ गहरे संबंध के महत्व की याद दिलाता है।

“दया कर, दान भक्ति का” भजन, अपने प्रेरक संदेश और अर्थपूर्ण शब्दों के कारण भक्तों में प्रिय है, और इसे भक्ति व्यक्त करने और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के साधन के रूप में गाया और पसंद किया जाता है।


किसे तू अपना समझता है, कौन तेरा है।
जगत सराय है, दो दिन का यहाँ डेरा है॥

ज्यों बनके पंछी बसेरा हैं रात्रि भर करते।
त्यों जग भी तेरे लिए रैन का बसेरा है॥

यह जिन्दगी कि शमा जलती रहेगी कब तक।
लगेगा काल का झोंका बस फिर अंधेरा है॥

मोहकी मदिरा को पी आज हो रहे गाफिल।
सभी को काल ने इक रोज आन घेरा है॥

न साथ लाया तू कुछ, साथ न कुछ जाने का ।
यहीं रहेगा पढ़ा ठाठ जो दिखे यह सुनहरा है॥

इसलिये मान ले अब तु, ईश्वर में मन लगा ले।
सिवा भगवान की भक्ति के सब बखेड़ा है॥


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