माँ दुर्गा के 108 नाम के इस पोस्ट में
पहले दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के
सभी श्लोक अर्थ सहित दिए गए है,
जिसमे प्रत्येक नाम का अर्थ आ जाता है।
दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र में 21 श्लोक आते है।
बाद में सभी 108 नामों की लिस्ट दी गयी है, और
अंत में स्तोत्र के सिर्फ संस्कृत श्लोक दिए गए है।
1. अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र अर्थ सहित
॥ईश्वर उवाच॥
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने॥
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती॥१॥
शंकरजी, पार्वतीजी से कहते हैं –
कमलानने,
अब मैं अष्टोत्तरशत (108) नाम का,
वर्णन करता हूँ, सुनो;
जिसके प्रसाद (पाठ या श्रवण) मात्र से,
भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।
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माँ दुर्गा को प्रणाम
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी।
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी॥२॥
1. सती – अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली, दक्ष की बेटी,
माँ दुर्गा का पहला स्वरूप, माँ शैलपुत्री
2. साध्वी – आशावादी
3. भवप्रीता – भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली
4. भवानी – ब्रह्मांड की निवास
5. भवमोचनी – संसार बंधनों से मुक्त करने वाली
6. आर्या – देवी
7. दुर्गा – अपराजेय
8. जया – विजयी
9. आद्य – शुरूआत की वास्तविकता
10. त्रिनेत्र – तीन आँखों वाली
11. शूलधारिणी – शूल धारण करने वाली
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माँ भगवती को प्रणाम
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः।
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः॥३॥
12. पिनाकधारिणी – शिव का त्रिशूल धारण करने वाली
13. चित्रा – सुरम्य, सुंदर
14. चण्डघण्टा – चंद्रघंटा प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली,
माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप
15. महातपा – भारी तपस्या करने वाली
16. मन – मनन- शक्ति
17. बुद्धि – बोधशक्ति, सर्वज्ञाता
18. अहंकारा – अहंताका आश्रय, अभिमान करने वाली
19. चित्तरूपा – वह जो सोच की अवस्था में है
20. चिता – मृत्युशय्या
21. चिति – चेतना
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चंडिका माता को प्रणाम
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी।
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः॥४॥
22. सर्वमन्त्रमयी – सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली
23. सत्ता – सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है
24. सत्यानन्दस्वरूपिणी – अनन्त आनंद का रूप
25. अनन्ता – जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं
26. भाविनी – सबको उत्पन्न करने वाली
27. भाव्या – भावना एवं ध्यान करने योग्य
28. भव्या – भव्यता के साथ, कल्याणस्वरूपा
29. अभव्या – जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं
30. सदागति – हमेशा गति में, मोक्ष दान
अम्बा माता को प्रणाम
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा।
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी ॥५॥
31. शाम्भवी – शिवप्रिया, शंभू की पत्नी
32. देवमाता – देवगण की माता
33. चिन्ता – चिन्ता
34. रत्नप्रिया – गहने से प्यार
35. सर्वविद्या – ज्ञान का निवास
36. दक्षकन्या – दक्ष की बेटी
37. दक्षयज्ञविनाशिनी – दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली
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कल्याणदायिनी शिवा को प्रणाम
अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती।
पट्टाम्बरपरीधाना कलमञ्जीररञ्जिनी ॥६॥
38. अपर्णा – तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली
39. अनेकवर्णा – अनेक रंगों वाली
40. पाटला – लाल रंग वाली
41. पाटलावती – गुलाब के फूल या
लाल परिधान या फूल धारण करने वाली
42. पट्टाम्बरपरीधाना – रेशमी वस्त्र पहनने वाली
43. कलमंजीररंजिनी (कलमञ्जररञ्जिनी) –
पायल (मधुर ध्वनि करने वाले मञ्जीर/पायल)
को धारण करके प्रसन्न रहने वाली
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विश्वेश्वरि, विश्व का पालन करने वाली, देवी माँ को प्रणाम
अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।
वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता॥७॥
44. अमेय – जिसकी कोई सीमा नहीं
45. विक्रमा – असीम पराक्रमी
46. क्रूरा – दैत्यों के प्रति कठोर
47. सुन्दरी – सुंदर रूप वाली
48. सुरसुन्दरी – अत्यंत सुंदर
49. वनदुर्गा – जंगलों की देवी
50. मातंगी – मतंगा की देवी
51. मातंगमुनि-पूजिता – बाबा मातंग द्वारा पूजनीय
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माँ गौरी को प्रणाम
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः॥८॥
52. ब्राह्मी – भगवान ब्रह्मा की शक्ति
53. माहेश्वरी – प्रभु शिव की शक्ति
54. इंद्री – इन्द्र की शक्ति
55. कौमारी – किशोरी
56. वैष्णवी – अजेय
57. चामुण्डा – चंड और मुंड का नाश करने वाली
58. वाराही – वराह पर सवार होने वाली
59. लक्ष्मी – सौभाग्य की देवी
60. पुरुषाकृति – वह जो पुरुष धारण कर ले
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शरणागत वत्सला माँ अम्बा को नमस्कार
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना ॥९॥
61. विमिलौत्त्कार्शिनी (विमला उत्कर्षिणी) – आनन्द प्रदान करने वाली
62. ज्ञाना – ज्ञान से भरी हुई
63. क्रिया – हर कार्य में होने वाली
64. नित्या – अनन्त
65. बुद्धिदा – ज्ञान देने वाली
66. बहुला – विभिन्न रूपों वाली
67. बहुलप्रेमा – सर्व प्रिय
68. सर्ववाहन-वाहना – सभी वाहन पर विराजमान होने वाली
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लक्ष्मी माता को प्रणाम
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी।
मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी ॥१०॥
69. निशुम्भशुम्भ-हननी – शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली
70. महिषासुर-मर्दिनि – महिषासुर का वध करने वाली
71. मधुकैटभहंत्री – मधु व कैटभ का नाश करने वाली
72. चण्डमुण्ड-विनाशिनि – चंड और मुंड का नाश करने वाली
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माँ भगवती को प्रणाम
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी।
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा॥११॥
73. सर्वासुरविनाशा – सभी राक्षसों का नाश करने वाली
74. सर्वदानवघातिनी – संहार के लिए शक्ति रखने वाली
75. सर्वशास्त्रमयी – सभी सिद्धांतों में निपुण
76. सत्या – सच्चाई
77. सर्वास्त्रधारिणी – सभी हथियारों धारण करने वाली
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वैष्णवी शक्ति रूपा नारायणि देवी को प्रणाम
अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी।
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः॥१२॥
78. अनेकशस्त्रहस्ता – हाथों में कई हथियार धारण करने वाली
79. अनेकास्त्रधारिणी – अनेक हथियारों को धारण करने वाली
80. कुमारी – सुंदर किशोरी
81. एककन्या – कन्या
82. कैशोरी – जवान लड़की
83. युवती – नारी
84. यति – तपस्वी
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माँ भगवती को प्रणाम
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा।
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला॥१३॥
85. अप्रौढा – जो कभी पुराना ना हो
86. प्रौढा – जो पुराना है
87. वृद्धमाता – शिथिल
88. बलप्रदा – शक्ति देने वाली
89. महोदरी – ब्रह्मांड को संभालने वाली
90. मुक्तकेशी – खुले बाल वाली
91. घोररूपा – एक भयंकर दृष्टिकोण वाली
92. महाबला – अपार शक्ति वाली
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पीड़ा दूर करने वाली दुर्गा माँ को प्रणाम
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी।
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी॥१४॥
93. अग्निज्वाला – मार्मिक आग की तरह
94. रौद्रमुखी – विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा
95. कालरात्रि – काले रंग वाली (माँ दुर्गा का सातवां रूप)
96. तपस्विनी – तपस्या में लगे हुए (माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप – माँ ब्रह्मचारिणी)
97. नारायणी – भगवान नारायण की विनाशकारी रूप
98. भद्रकाली – काली का भयंकर रूप
99. विष्णुमाया – भगवान विष्णु का जादू
100. जलोदरी – ब्रह्मांड में निवास करने वाली
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संकट हरने वाली देवी माँ को प्रणाम
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी।
कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी॥१५॥
101. शिवदूती – भगवान शिव की राजदूत
102. करली – हिंसक
103. अनन्ता – विनाश रहित
104. परमेश्वरी – प्रथम देवी
105. कात्यायनी – ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय,
माँ दुर्गा का छठवां रूप, कात्यायनी देवी
106. सावित्री – सूर्य की बेटी
107. प्रत्यक्षा – वास्तविक
108. ब्रह्मवादिनी – वर्तमान में हर जगह वास करने वाली
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माँ भगवती को प्रणाम
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम्।
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति॥१६॥
देवी पार्वती!
जो प्रतिदिन,
दुर्गाजी के इस अष्टोत्तरशतनाम का,
पाठ करता है,
उसके लिये तीनों लोकों में,
कुछ भी असाध्य नहीं है।
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च।
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्॥१७॥
वह धन, धान्य,
पुत्र, स्त्री,
घोड़ा, हाथी,
धर्म आदि चार पुरुषार्थ तथा
अन्तमें सनातन मुक्ति भी,
प्राप्त कर लेता है।
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम्॥
पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम्॥१८॥
कुमारीका पूजन और देवी सुरेश्वरीका ध्यान करके,
पराभक्तिके साथ उनका पूजन करे,
फिर अष्टोत्तरशत-नामका पाठ आरम्भ करे।
तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वैः सुरवरैरपि।
राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात्॥१९॥
देवि! जो ऐसा करता है,
उसे, सब श्रेष्ठ देवताओंसे भी,
सिद्धि प्राप्त होती है॥
राजा उसके दास हो जाते हैं।
वह राज्यलक्ष्मीको प्राप्त कर लेता है।
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण।
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः॥२०॥
गोरोचन, लाक्षा, कुंकुम, सिन्दूर,
कपूर, घी (अथवा दूध), चीनी और मधु –
इन वस्तुओंको एकत्र करके,
इनसे विधिपूर्वक यन्त्र लिखकर,
जो विधिज्ञ पुरुष सदा उस यन्त्रको धारण करता है,
वह शिवके तुल्य (मोक्षरूप) हो जाता है।
भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते।
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् सम्पदां पदम्॥२१॥
भौमवती अमावास्याकी आधी रातमें,
जब चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्रपर हों,
उस समय इस स्तोत्रको लिखकर,
जो इसका पाठ करता है,
वह सम्पत्तिशाली होता है।
इति श्रीविश्वसारतन्त्रे दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं समाप्तम्।
2. देवी के 108 नाम – List
1. सती
2. साध्वी
3. भवप्रीता
4. भवानी
5. भवमोचनी
6. आर्या
7. दुर्गा
8. जया
9. आद्य
10. त्रिनेत्र
11. शूलधारिणी
12. पिनाकधारिणी
13. चित्रा
14. चण्डघण्टा
15. महातपा
16. मन
17. बुद्धि
18. अहंकारा
19. चित्तरूपा
20. चिता
21. चिति
22. सर्वमन्त्रमयी
23. सत्ता
24. सत्यानन्दस्वरूपिणी
25. अनन्ता
26. भाविनी
27. भाव्या
28. भव्या
29. अभव्या
30. सदागति
31. शाम्भवी
32. देवमाता
33. चिन्ता
34. रत्नप्रिया
35. सर्वविद्या
36. दक्षकन्या
37. दक्षयज्ञविनाशिनी
38. अपर्णा
39. अनेकवर्णा
40. पाटला
41. पाटलावती
42. पट्टाम्बरपरीधाना
43. कलमंजीररंजिनी (कलमञ्जररञ्जिनी)
44. अमेय
45. विक्रमा
46. क्रूरा
47. सुन्दरी
48. सुरसुन्दरी
49. वनदुर्गा
50. मातंगी
51. मातंगमुनि-पूजिता
52. ब्राह्मी
53. माहेश्वरी
54. इंद्री
55. कौमारी
56. वैष्णवी
57. चामुण्डा
58. वाराही
59. लक्ष्मी
60. पुरुषाकृति
61. विमिलौत्त्कार्शिनी (विमला उत्कर्षिणी)
62. ज्ञाना
63. क्रिया
64. नित्या
65. बुद्धिदा
66. बहुला
67. बहुलप्रेमा
68. सर्ववाहन-वाहना
69. निशुम्भशुम्भ-हननी
70. महिषासुर-मर्दिनि
71. मधुकैटभहंत्री
72. चण्डमुण्ड-विनाशिनि
73. सर्वासुरविनाशा
74. सर्वदानवघातिनी
75. सर्वशास्त्रमयी
76. सत्या
77. सर्वास्त्रधारिणी
78. अनेकशस्त्रहस्ता
79. अनेकास्त्रधारिणी
80. कुमारी
81. एककन्या
82. कैशोरी
83. युवती
84. यति
85. अप्रौढा
86. प्रौढा
87. वृद्धमाता
88. बलप्रदा
89. महोदरी
90. मुक्तकेशी
91. घोररूपा
92. महाबला
93. अग्निज्वाला
94. रौद्रमुखी
95. कालरात्रि
96. तपस्विनी
97. नारायणी
98. भद्रकाली
99. विष्णुमाया
100. जलोदरी
101. शिवदूती
102. करली
103. अनन्ता
104. परमेश्वरी
105. कात्यायनी
106. सावित्री
107. प्रत्यक्षा
108. ब्रह्मवादिनी
3. दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – संस्कृत श्लोक
॥ईश्वर उवाच॥
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने॥
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती॥१॥
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी।
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी॥२॥
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः।
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः॥३॥
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी।
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः॥४॥
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा।
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी ॥५॥
अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती।
पट्टाम्बरपरीधाना कलमञ्जीररञ्जिनी ॥६॥
अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।
वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता॥७॥
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः॥८॥
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना ॥९॥
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी।
मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी ॥१०॥
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी।
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा॥११॥
अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी।
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः॥१२॥
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा।
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला॥१३॥
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी।
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी॥१४॥
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी।
कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी॥१५॥
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम्।
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति॥१६॥
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च।
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्॥१७॥
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम्॥
पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम्॥१८॥
तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वैः सुरवरैरपि।
राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात्॥१९॥
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण।
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः॥२०॥
भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते।
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् सम्पदां पदम्॥२१॥
इति श्रीविश्वसारतन्त्रे दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं समाप्तम्।
दुर्गा सप्तशती
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 1 - श्लोक अर्थ सहित
- या देवी सर्वभूतेषु मंत्र – दुर्गा मंत्र – अर्थ सहित
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 13 - श्लोक अर्थ सहित
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 12 - श्लोक अर्थ सहित - सप्तशती पाठ के लाभ
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 11 - श्लोक अर्थ सहित
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 10 - श्लोक अर्थ सहित
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 9 - श्लोक अर्थ सहित
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 8 - श्लोक अर्थ सहित
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 7 - श्लोक अर्थ सहित - चण्ड-मुण्ड का संहार
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 6 - श्लोक अर्थ सहित
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 5 - श्लोक अर्थ सहित - या देवी सर्वभूतेषु मंत्र
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 4 - श्लोक अर्थ सहित - देवी से प्रार्थना
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 3 - श्लोक अर्थ सहित - महिषासुर संहार
- दुर्गा सप्तशती अध्याय 2 - श्लोक अर्थ सहित - दुर्गा देवी का अवतार
- दुर्गा सप्तशती अध्याय लिस्ट - Index
- दुर्गा सप्तशती क्या है और क्यों पढ़ना चाहिए?
- What is Durga Saptashati and Why You Should Read it?
- माँ दुर्गा के महाकाली महामाया की अवतार कथा
देवी माहात्म्य
- सप्तश्लोकी दुर्गा
- दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – माँ दुर्गा के 108 नाम – अर्थ सहित
- दुर्गा कवच – देवी कवच – अर्थ सहित
- अर्गला स्तोत्रम् अर्थ सहित
- कीलक स्तोत्र – अर्थ सहित – देवी माहात्म्य
- रात्रिसूक्तम् – अर्थ सहित
- नवदुर्गा – माँ दुर्गा के नौ रुप
- नवदुर्गा – माँ शैलपुत्री – कथा, मंत्र, स्तुति
- नवदुर्गा – माँ ब्रह्मचारिणी – कथा, मंत्र, स्तुति
- नवदुर्गा – माँ चन्द्रघण्टा – कथा, मंत्र, स्तुति
- नवदुर्गा – माँ कूष्माण्डा – कथा, मंत्र, स्तुति
- नवदुर्गा – माँ स्कंदमाता – कथा, मंत्र, स्तुति
- नवदुर्गा – कात्यायनी देवी – कथा, मंत्र, स्तुति
- नवदुर्गा – माँ कालरात्रि – कथा, मंत्र, स्तुति
- नवदुर्गा - माँ दुर्गा के नौ रुप
- नवदुर्गा - माँ दुर्गा का पहला स्वरूप - माँ शैलपुत्री
- नवदुर्गा - माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप - माँ ब्रह्मचारिणी
- नवदुर्गा - माँ दुर्गा का तीसरा रूप - माँ चन्द्रघण्टा
- नवदुर्गा - माँ दुर्गा का चौथा रूप - माँ कूष्माण्डा
- नवदुर्गा - माँ दुर्गा का पाचवां रूप - माँ स्कंदमाता
- नवदुर्गा - माँ दुर्गा का छठवां रूप - कात्यायनी देवी
- नवदुर्गा - माँ दुर्गा का सातवां रूप - माँ कालरात्रि
देवी माँ की आरती
- अम्बे तू है जगदम्बे काली – माँ दुर्गा आरती | माँ काली आरती
- जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
- ॐ जय लक्ष्मी माता – लक्ष्मी जी की आरती
- जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय
- दुर्गा चालीसा – नमो नमो दुर्गे सुख करनी
- भोर भई दिन चढ़ गया – माँ वैष्णो देवी आरती
- जय सन्तोषी माता – सन्तोषी माता आरती
- दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
- मंगल की सेवा सुन मेरी देवा – कालीमाता की आरती
- अम्बे तू है जगदम्बे काली - दुर्गा माँ की आरती
- Ambe Tu Hai Jagdambe Kali - Durga Aarti
- श्री लक्ष्मी चालीसा
- जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
- Jai Ambe Gauri - Ambe Maa Ki Aarti
- Durga Chalisa - Namo Namo Durge Sukh Karani
- दुर्गा चालीसा - नमो नमो दुर्गे सुख करनी
- जगजननी जय जय माँ - अर्थसहित
- जगजननी जय जय माँ, जगजननी जय जय
- Jag Janani Jai Jai Maa, Jag Janani Jai Jai
- आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं
- Aarti Jag Janani Main Teri Gaun
- जय जय सरस्वती माता – माँ सरस्वती आरती
- मंगल की सेवा सुन मेरी देवा - कालीमाता की आरती
- Mangal Ki Seva Sun Meri Deva
- माँ लक्ष्मी जी की आरती - जय लक्ष्मी माता
- गंगा जी की आरती – गंगा आरती
- गायत्री चालीसा
- दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
- Durge Durghat Bhari Tujvin Sansari
- जय जय संतोषी माता, जय जय माँ
- जय सन्तोषी माता - सन्तोषी माता आरती
- गंगा जी की आरती - गंगा आरती
- माँ सरस्वती आरती - जय जय सरस्वती माता
- भोर भई दिन चढ़ गया, मेरी अम्बे
- Bhor Bhayi Din Chad Gaya, Meri Ambe