गणेश जी की खीर वाली कहानी
गणेशजी पृथ्वी लोक आते है
ॐ श्री गणेशाय नमः
एक बार गणेश जी,
भक्तों की परीक्षा लेने के लिए,
एक बालक का रूप धर कर,
पृथ्वी लोक आते हैं।
भक्तों की परीक्षा
भगवान गणेश, लोगो से, खीर बनाने के लिए कहते है
एक चम्मच दूध, और
एक चुटकी चावल लेकर,
लोगों के पास जाते है, और
उनसे दूध एवं चावल की,
खीर बनाने के लिए कहते हैं।
एक चुटकी चावल और थोडे से दूध की,
खीर बनाने की बात सुनकर,
लोग उन पर हंसने लगते हैं।
बहुत भटकने के बाद भी,
कोई खीर बनाने के लिए राज़ी नहीं होता है।
बुढ़िया खीर बनाने के लिए राजी होती है
आखिर एक गांव में,
एक बुढ़िया को उन पर दया आती है
और वह बोलती है –
ला बेटा, मैं बना देती हूं खीर।
ऐसा कह कर,
वह एक छोटी कटोरी ले कर आती हैं।
यह देख बालक बोला –
अरे मां, इस कटोरी से क्या होगा,
कोई बड़ा बर्तन लेकर आओ।
बच्चे का मन रखने के लिए,
बुढ़िया बड़ा बर्तन ले आती हैं।
अब बालक उसमें,
चावल और दूध उंडेलता हैं।
गांव वालों को खीर खाने का निमंत्रण
देखते ही देखते वह बर्तन भर जाता है
और उसके बाद भी
चुटकी भर चावल और
चम्मच भर दूध खत्म नहीं होता।
बुढ़िया एक एक कर
घर के सारे बर्तन ले आती हैं।
सब बर्तन भर जाते है,
लेकिन चुटकी भर चावल और
चम्मच भर दूध खत्म नहीं होता।
तब बालक बुढ़िया से कहता है कि,
वह खीर बनाने के लिए सामग्री को,
चूल्हे पर चढ़ा दें,
तथा गांव में जाए और
सबको खाना खाने का निमंत्रण देकर आए।
जब खीर बन जाए,
तो उसे भी बुला लेना।
बुढ़िया वैसा ही करती हैं।
फिर भी खीर बच जाती है
सारा गांव आता है और
खीर खाकर चला जाता है
लेकिन,
उसके बाद भी खीर बच जाती हैं।
बुढ़िया पूछती है कि,
वह इसका क्या करें?
तब बालक ने कहा कि,
इस खीर को घर के चारों कौनों में,
बर्तन सहित उलट कर ढक दें ,और
सुबह तक ऐसे ही रहने दे।
गणपतिजी की बुढ़िया पर कृपा
सुबह बुढ़िया बर्तन उठाकर देखती है तो,
हीरे जवाहरात नज़र आते हैं।
इस तरह,
जैसे भगवान गणेश ने,
बुढ़िया पर कृपा बनाई,
वैसे ही वह सब भक्तों पर कृपा बनाए रखें।
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