गंगा जी की आरती
ओम जय गंगे माता,
मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता॥
ओम जय गंगे माता॥
चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,
जल निर्मल आता।
मैया जल निर्मल आता
शरण पड़े जो तेरी,
सो नर तर जाता॥
ओम जय गंगे माता॥
पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता।
मैया सब जग को ज्ञाता
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता॥
ओम जय गंगे माता॥
एक ही बार जो तेरी,
शरणागति आता।
मैया शरणागति आता
यम की त्रास मिटाकर,
परमगति पाता॥
ओम जय गंगे माता॥
आरती मात तुम्हारी,
जो जन नित गाता।
मैया जो जन नित गाता
दास वही सहज में,
मुक्ति को पाता॥
ओम जय गंगे माता॥
ओम जय गंगे माता,
मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता॥
ओम जय गंगे माता॥
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Ganga Ji Ki Aarti – Ganga Aarti
Anuradha Paudwal
Hariharan
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Ganga Ji Ki Aarti – Ganga Aarti
Om Jai Gange Mata,
maiya Jai Gange Mata
Jo nar tumako dhyaata,
mann-vaanchhit phal paata.
Om Jai Gange Mata
Chandra-si jyoti tumhaari,
jal nirmal aata.
maiya jal nirmal aata.
Sharan pade jo teri,
so nar tar jaata.
Om Jai Gange Mata
Putra sagar ke taare,
sab jag ko gyaata.
maiyaa sab jag ko gyaata.
Kripa drishti ho tumhaari,
tribhuvan sukh daata.
Om Jai Gange Mata
Ek baar jo praani,
sharan teri aata.
maiya sharan teri aata.
Yam ki traas mitaakar,
paramagati paata.
Om Jai Gange Mata
Aarti mata tumhaari,
jo nar nit gaata.
maiya jo nar nit gaata.
Das wahi sahaj mein,
mukti ko paata.
Om Jai Gange Mata
Om Jai Gange Mata,
maiya Jai Gange Mata
Jo nar tumako dhyaata,
mann-vaanchhit phal paata.
Om Jai Gange Mata