गंगा जी की आरती – गंगा आरती

1.

ओम जय गंगे माता,
मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता॥
॥ओम जय गंगे माता॥


2.

चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,
जल निर्मल आता,
मैया जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी,
सो नर तर जाता॥

॥ओम जय गंगे माता॥


3.

पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता,
मैया सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता॥

॥ओम जय गंगे माता॥


4.

एक ही बार जो तेरी,
शरणागति आता,
मैया शरणागति आता।
यम की त्रास मिटाकर,
परमगति पाता॥

॥ओम जय गंगे माता॥


5.

आरती माता तुम्हारी,
जो जन नित गाता,
मैया जो जन नित गाता।
दास वही सहज में,
मुक्ति को पाता॥

॥ओम जय गंगे माता॥


6.

ओम जय गंगे माता,
मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता॥

॥ओम जय गंगे माता॥