श्री गणेश आरती – गणपति की सेवा मंगल मेवा
गणपति की सेवा मंगल मेवा लिरिक्स के इस पेज में पहले आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।
बाद में इस आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सीखने को मिलती है यह बताया गया है।
इस आरती से हमें गणेशजी के महत्व, रूप, और उनके धार्मिक अर्थ के साथ साथ उनकी भक्ति भक्तों के लिए कैसे महत्वपूर्ण हैं, यह समझने को मिलता है।
Ganpati Ki Seva Mangal Meva Lyrics
गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(Or –
तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)
ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चँवर करें।
धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें॥
गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें।
सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें॥
भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें ।
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने, दुर्गा मन आनन्द भरें॥
अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें।
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥
आन विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।
देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरें॥
एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें॥
दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें।
चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन भुवन में राज्य करें॥
गणपति की पूजा पहले करनी, काम सभी निर्विघ्न सरें।
श्री प्रताप गणपतीजी को, हाथ जोड स्तुति करें॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
(तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करें॥)
Shlok:
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ गं गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥
Ganpati Ki Seva Mangal Meva – Shri Ganesh Aarti
Suresh Wadkar
Ganesh Bhajan
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गणपति की सेवा मंगल मेवा आरती का आध्यात्मिक महत्व
भगवान् गणेशजी की आरती, गणपति की सेवा मंगल मेवा में गणपतिजी की महिमा और उनकी सर्वव्यापकता के बारे में बताया गया है और साथ ही साथ इस आरती से हमें उनकी सेवा का महत्व भी पता चलता है।
यह आरती हमें बताती है की हमें हमेशा किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि इससे हमें सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिलेगी और हम सुखमय जीवन जी पाएंगे।
हमें इस आरती से जो आध्यात्मिक बातें सीखने को मिलती है, उनमे से कुछ प्रमुख –
भक्ति और सेवा का महत्त्व
गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विध्न टरें।
भजन में कहा गया है कि गणपतिजी की सेवा मंगलकारी है।
उनकी सेवा करने से सभी तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं और हमारे जीवन में मंगल (शुभ) घटनाएँ होती हैं, इसलिए गणेशजी को विघ्नहर्ता और सुखकर्ता भी कहा जाता है।
यह हमें सिखाता है कि भक्ति और सेवा जीवन में बहुत महत्त्व रखती है। भक्ति से हमें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और सेवा से हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
ईश्वर की सर्वव्यापकता
तीन लोक तैतिस देवता, द्वार खड़े सब अर्ज करे॥
गणेश जी की सेवा सभी देवताओं को प्रिय है। तीन लोक के तैंतीस करोड़ देवता गणपति के द्वार पर खड़े होकर उनकी अर्चना करते हैं, उनकी सेवा में खड़े होकर प्रार्थना करते हैं।
यह हमें ईश्वर की सर्वव्यापकता का संदेश देता है। ईश्वर हर जगह विद्यमान हैं।
भगवान की कृपा
ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजे, अरु आनन्द सों चँवर करें।
गणपतिजी के दाएं और बाएं ओर ऋद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (साधना) विराजमान हैं, मूर्तियाँ सुशोभित हैं, और वे उनके ऊपर आनंद से चँवर अर्थात पंखा (चंवर का अर्थ निचे दिया गया है) लहरा रही हैं।
इसका तात्पर्य यह है कि गणेश जी की सेवा से ऋद्धि-सिद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है।
गणपति सभी प्रकार की धन-धान्य और सफलता के स्रोत हैं, और जब हम भगवान की भक्ति और सेवा करते हैं, तो उनकी कृपा से हमें सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
चँवर यानी की लंबे बालों का बना पंखा, जो राजाओं आदि के ऊपर मक्खियाँ आदि उड़ाने के लिए डुलाया जाता है – चँवर डुलाना।
भक्ति का सरल तरीका
धूप दीप और लिए आरती, भक्त खड़े जयकार करें॥
गुड़ के मोदक भोग लगत है, मुषक वाहन चढ़ा करें।
भजन में कहा गया है कि भक्त धूप, दीप और आरती लेकर गणपति की जयकार करते हैं। भक्तों को अपने इष्टदेव की सेवा में बहुत उत्साह होता है।
गुड़ के मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय हैं, इसलिए गणेश भगवान को गुड़ के मोदक के भोग से प्रसन्न किया जा सकता है और मुषक गणेश जी का वाहन है।
यह हमें भक्ति के सरल तरीके का संदेश देता है। भक्ति करने के लिए हमें किसी विशेष साधन की आवश्यकता नहीं है। हम सरल तरीके से भी भगवान की भक्ति कर सकते हैं।
सौम्य रूप की महत्ता
सौम्यरुप सेवा गणपति की, विध्न भागजा दूर परें॥
भजन में कहा गया है कि गणपतिजी का सौम्य रूप है। यह हमें सौम्य रूप की महत्ता का संदेश देता है।
इन पंक्तियों से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि जीवन में विघ्नों का सामना करना पड़ता है, लेकिन भक्ति और सेवा से हम इन विघ्नों को दूर कर सकते हैं।
क्यों किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए?
गणपति की पूजा पहले करनी, काम सभी निर्विघ्न सरें।
श्री प्रताप गणपतीजी को, हाथ जोड स्तुति करें॥
श्री गणेशजी को प्रथम पूज्य माना जाता है और उनकी पूजा सबसे पहले करनी चाहिए।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। वे हमें जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से बचाते हैं। हमारे कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं।
इसलिए, कोई भी कार्य शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। इससे हमारे कार्य सफल होंगे और हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।
भगवान गणेश की स्तुति करनी चाहिए। भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान, और समृद्धि के देवता हैं। इसलिए उनकी स्तुति करने से हमें इन सभी गुणों की प्राप्ति होती है।
भादों मास और शुक्ल चतुर्थी, दिन दोपारा पूर परें ।
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने, दुर्गा मन आनन्द भरें॥
भगवान गणेश का जन्म भादों मास की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है।
भगवान गणेश का जन्म भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका जन्म एक अद्भुत घटना थी।
अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का, देव वधू जहँ गान करें।
श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुन्या सब विघ्न टरें॥
इस पंक्ति में श्री गणेशजी की महिमा का वर्णन किया गया है। कहा गया है कि श्री गणेशजी देवताओं के द्वारा पूजे जाते हैं और उनके नाम सुनते ही सभी विघ्न दूर हो जाते हैं।
इसलिए श्री गणेशजी की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा करने से हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
आन विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करें।
देख वेद ब्रह्माजी जाको, विघ्न विनाशक नाम धरें॥
भगवान् गणपति सभी देवताओं के आराध्य देव हैं और देवताओं द्वारा पूजे जाते है। इंद्र और ब्रह्माजी जैसे देवता भी इनकी पूजा करते हैं। और भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा है।
एकदन्त गजवदन विनायक, त्रिनयन रूप अनूप धरें।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है, देख चन्द्रमा हास्य करें॥
भगवान गणेश का एकदंत, गजवदन, त्रिनयन रूप अनूप है। इनका उदर पगथंभा सा पुष्ट है। भगवान गणेश की तीन आंखें हैं, जो तीनों लोकों को देखती हैं। इनकी एक दांत है और ये हाथी के मुख वाले हैं।
दे श्राप श्री चंद्रदेव को, कलाहीन तत्काल करें।
चंद्रमा ने भगवान गणेश का अपमान किया था, इसलिए उन्होंने चंद्रमा को कलाहीन कर दिया।
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
चौदह लोक मे फिरे गणपति, तीन भुवन में राज्य करें॥
भगवान गणेश चौदह लोक में विचरण करते हैं और तीन भुवन में राज्य करते हैं। यह पंक्ति गणेश भगवान की पूजा का महत्व और प्राथमिकता बताती है और भगवान गणेश के गुणों और विशेषताओं का वर्णन करती है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।
Ganesh Bhajan
- गणेश जी की कथा - खीर
- आओ आओ गजानन, हम तुम्हे बुलाते है
- गणपति राखो मेरी लाज, पुरण कीजो मेरे काज
- गौरी के लाड़ले, महिमा तेरी महान
- गणेशजी की कथा - बुढ़िया और राजा
- अष्टविनायक गणपती
- मेरे घर में पधारो प्यारे गणपतिजी
- गणेश शरणम शरणम गणेशा
- देवा हो देवा, गणपति देवा
- मेरे गणपति बेडा पार करो
- श्री गणेश चालीसा
- सिद्धिविनायक जय गणपति, गाएं सदा तेरी आरती
- जय हो गणपती, जय हो गणपती
- गजानन कर दो बेडा पार
- आज गणराज पधारे है
- गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है?
- मेरे कीर्तन मे रस बरसाओ
- हे गजवदना, गौरी नंदना - प्रार्थना
- श्री गणपति भज प्रगट पार्वती - श्री गणेश आरती
- गजानन पधारो गजानन पधारो
- देते है भक्तो को भक्ति का मेवा
- सिद्धि विनायक मङ्गल दाता