हे राम, हे राम, जग में सांचो तेरो नाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
जग में सांचो तेरो नाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
तू ही माता, तू ही पिता है
तू ही तो है राधा का श्याम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
तू अंतर्यामी, सबका स्वामी
तेरे चरणों में चारो धाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
तू ही बिगाड़े, तू ही संवारे
इस जग के सारे काम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
तू ही जगदाता, विश्वविधाता
तू ही सुबह, तू ही शाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
जग में सांचो तेरो नाम
हे राम, हे राम – हे राम, हे राम
Hey Ram, Hey Ram, Jag Me Sacho Tera Naam
Jagjit Singh
Ram Bhajan
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राम नाम जप
नामकी महिमा अपार है। यह भगवानकी प्रत्यक्ष विभूति है। नामजपके अमित प्रभावसे डाकू रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि बन गये।
आशुतोष भगवान् शंकरने नामजपके प्रभावसे ही हलाहलको कण्ठमें धारण कर लिया और नीलकण्ठ बनकर संसारको भस्मीभूत होनेसे बचा लिया।
भगवन्नामकी ऐसी अपार महिमाको समझकर जो नाम-जपका आश्रय लेते हैं, उनका यह लोक और परलोक दोनों आनन्दसे परिपूर्ण हो जाते हैं।
नामके प्रभावसे असंख्य साधकोंको चमत्कारमयी सिद्धियाँ प्राप्त हुईं। साधारण मानव यदि महान् विपत्तियों और दुर्निवार संकटोंके आनेपर भगवन्नाम स्मरणका सहारा ले तो निश्चय ही उसको संकटोंसे मुक्ति मिल जाती है।
नामजपके प्रभावसे ही भक्तशिरोमणि बालक प्रह्लादको धधकती हुई ज्वाला भस्म नहीं कर सकी, बालक ध्रुवको अविचल पदवी प्राप्त हुई।
नामजपके प्रभावसे महावीर हनुमानजीने रामको अपना ऋणिया बनाकर अपने वशमें कर लिया।
इस घोर कलिकालमें भी जो बड़भागी भगवन्नामका आश्रय नहीं छोड़ते, उनके सभी शास्त्रानुमोदित कार्य सफल होते हैं । भगवन्नामके प्रभावसे माता और पिताकी भाँति सदैव उनकी अलक्षित रूपसे सुरक्षा होती रहती है।
मानव-जीवनके कल्याणका सर्वसुलभ एवं सर्वोत्तम साधन नामजप ही है। इसलिए तापसंतप्त मानवके लिये ईश्वरके नाम जापसे अधिक सरल सुगम कोई अन्य उपाय और साधन नहीं है।
नामजपकी अपार महिमाका वर्णन लेखनी और वाणीसे सम्भव नहीं है। उसकी सुखद अनुभूति तो इस पथके पथिकको अर्थात भक्तिपूर्वक नाम जप करनेवाले को ही हो सकती है।
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