श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा
श्री गणेश आरती – जय गणेश जय गणेश देवा लिरिक्स के इस पेज में पहले आरती के हिंदी लिरिक्स दिए गए है।
बाद में इस आरती का आध्यात्मिक महत्व दिया गया है और इसकी पंक्तियों से हमें कौन कौन सी बातें सिखने को मिलती है यह बताया गया है।
जैसे की यह आरती हमें बताती है की गणेशजी अपने भक्तों को हमेशा सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति गणेशजी के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा रखता है, उनकी शरण में आता है, उसे जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होता है।
इसलिए, हमें गणेशजी की पूजा करके, उनके आशीर्वाद से अपने जीवन से सभी तरह के विघ्नों को दूर करने का और जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Lyrics
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥]
एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥
पान चढ़े फुल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लडुवन का भोग लगे, संत करे सेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
[जय गणेश, जय गणेश….]
(Or –
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥)
[जय गणेश, जय गणेश….]
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
Shlok:
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ गं गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥
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जय गणेश जय गणेश देवा आरती का आध्यात्मिक महत्व
जय गणेश जय गणेश देवा आरती की पंक्तियों में भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का वर्णन किया गया है। इनकी कृपा से हमारा जीवन सुखमय और सफल होता है।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, सुखकर्ता और वरदायक के रूप में जाना जाता है। इनकी कृपा से हमारे कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और हमारे सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
भगवान गणेश दयालु और करुणामय हैं। ये सभी प्रकार के कष्टों से पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करते हैं।
भगवान गणेश की पूजा और आराधना से हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
आरती की इन पंक्तियों में बताया गया है की किस प्रकार गणेशजी भक्तों के दुःख दूर करते है, और उनके कुछ चमत्कारों का वर्णन किया गया है। जैसे भगवान गणेश अंधे को आंख, कोढ़ी को काया, बांझ को पुत्र और निर्धन को माया प्रदान करते हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी सेवा सफल करते हैं।
भगवान गणेश दयालु और करुणामयी हैं। वे सभी प्राणियों की रक्षा करते हैं और उनकी मदद करते हैं। वे सभी भक्तों पर समान दया करते हैं, चाहे वे अमीर हो या गरीब, स्वस्थ हों या बीमार, सुंदर हों या कुरूप।
कुछ विशेष बातें, जो हम आरती की पंक्तियों से सीख सकते हैं –
हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करने के लिए हमें भगवान गणेश की शरण लेनी चाहिए।
हमारे सभी मनोरथों की पूर्ति के लिए हमें भगवान गणेश की पूजा और आराधना करनी चाहिए।
हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त करने के लिए हमें भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
देवता और मनुष्य जिनको अपना प्रधान पूज्य समझते हैं, जो सबके वंदनीय हैं, विघ्न के काल है, विघ्न को हरने वाले हैं, जो शिवजी और माता पार्वतीजी के पुत्र है, उन गणेश जी का मैं रिद्धि और सिद्धि के साथ आवाहन करता हूं, उनको प्रणाम करता हूँ, उनका ध्यान करता हूँ।
एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥
जो रत्न के सिंहासन पर बैठे हैं, जिनके हाथों में पाश, अंकुश और कमल के फूल है, जो अभय दान और वरदान देने वाले हैं, जो देवताओं के गण के राजा है, लाल कमल के समान जिनके देह की आभा है, रिद्धि – सिद्धि के दाता श्री गणेशजी की मै सदैव उपासना करता हूँ।
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जो विघ्नरूप अंधकार का नाश करते है और भक्तों को अनेक प्रकार के फल देते हैं, उन करुणा रूप जलराशि से तरंगित नेत्रों वाले, सुखकर्ता, दुखहर्ता गणेशजी का मै ध्यान करता हूँ, वे हम लोगोका का कल्याण करे।
सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जिनको वेदांती लोग ब्रह्मा कहते हैं, और दूसरे लोग परम प्रधान पुरुष अथवा संसार की सृष्टि के कारण या ईश्वर कहते हैं, उन विघ्न विनाशक गणेश जी को नमस्कार है।
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- हे गजवदना, गौरी नंदना - प्रार्थना
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- गजानन पधारो गजानन पधारो
- देते है भक्तो को भक्ति का मेवा
- सिद्धि विनायक मङ्गल दाता