कितना अजीब मोहन, किस्मत का लेख मेरा
कितना अजीब मोहन,
किस्मत का लेख मेरा।
जो कुछ भी हो रहा है,
उसमे हैं हाथ तेरा॥
कितना अजीब मोहन,
किस्मत का लेख मेरा॥
हारे थे, हारते हैं,
क्या हारते रहेंगें।
खामोश हैं कन्हैया,
कुछ भी न हम कहेंगें।
किससे कहूँ हे मोहन,
कोई न जग में मेरा।
कितना अजीब मोंहन,
किस्मत का लेख मेरा॥
हिचखोले खाते खाते,
सहना भी तुमसे सीखा।
अब तो लगे है हारना,
जुआ भी जिंदगी का।
सुख में भी दुःख है मोहन,
कैसा ये खेल तेरा।
कितना अजीब मोंहन,
किस्मत का लेख मेरा॥
कर ली जो तुमसे यारी,
जीना सफल हुआ है।
बदनाम नाम ना हो,
मेरी तो ये दुआ है।
कितने चलाओ जादू,
भक्त छोड़े ना साथ तेरा।
कितना अजीब मोंहन,
किस्मत का लेख मेरा॥
कितना अजीब मोहन,
किस्मत का लेख मेरा।
जो कुछ भी हो रहा है,
उसमे हैं हाथ तेरा।
कितना अजीब मोंहन,
किस्मत का लेख मेरा॥
Kitna Ajeeb Mohan Kismat Ka Lekh Mera
Sanjay Mittal
Krishna Bhajan
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