मधुराष्टकम – अर्थ साहित – अधरं मधुरं वदनं मधुरं
अधरं मधुरं वदनं मधुरं,
नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं,
नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)
वचनं मधुरं चरितं मधुरं,
वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः,
पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं,
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं,
हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गुंजा मधुरा माला मधुरा,
यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा,
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गोपा मधुरा गावो मधुरा,
यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)
इति श्रीमद्वल्लभाचार्यविरचितं
मधुराष्टकं सम्पूर्णं।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं,
नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
Madhurashtakam – Adharam Madhuram
Krishna Bhajan
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Madhurashtakam – Adharam Madhuram – Meaning
- मधुर – pleasant, pleasing
- मधुर – मनभावन, आकर्षक, सुंदर, सौम्य, मनोहर, सुहावना, प्रीतिकर, सुखकर
नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)
अर्थ (Meaning in Hindi):
- अधरं मधुरं – श्री कृष्ण के होंठ मधुर हैं
- वदनं मधुरं – मुख मधुर है
- नयनं मधुरं – नेत्र (ऑंखें) मधुर हैं
- हसितं मधुरम् – मुस्कान मधुर है
- हृदयं मधुरं – हृदय मधुर है
- गमनं मधुरं – चाल भी मधुर है
- मधुराधिपते – मधुराधिपति (मधुरता के ईश्वर श्रीकृष्ण)
- अखिलं मधुरम् – सभी प्रकार से मधुर है
भावार्थ:
श्री मधुराधिपति (श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर (होंठ) मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र मधुर है, हास्य (मुस्कान) मधुर है, हृदय मधुर है और चाल (गति) भी मधुर है॥
वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)
अर्थ (Meaning in Hindi)
- वचनं मधुरं – भगवान श्रीकृष्ण के वचन (बोलना) मधुर है
- चरितं मधुरं – चरित्र मधुर है
- वसनं मधुरं – वस्त्र मधुर हैं
- वलितं मधुरम् – वलय, कंगन मधुर हैं
- चलितं मधुरं – चलना मधुर है
- भ्रमितं मधुरं – भ्रमण (घूमना) मधुर है
- मधुराधिपते – मधुरता के ईश्वर श्रीकृष्ण (मधुराधिपति)
- अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
भावार्थ:
श्री मधुराधिपति (भगवन श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनका बोलना (वचन) मधुर है, चरित्र मधुर है, वस्त्र मधुर है, वलय मधुर है, चाल मधुर है और घूमना (भ्रमण) भी अति मधुर है।
पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):
- वेणुर्मधुरो – श्री कृष्ण की वेणु मधुर है, बांसुरी मधुर है
- रेणुर्मधुरः – चरणरज मधुर है, उनको चढ़ाये हुए फूल मधुर हैं
- पाणिर्मधुरः – हाथ (करकमल) मधुर हैं
- पादौ मधुरौ – चरण मधुर हैं
- नृत्यं मधुरं – नृत्य मधुर है
- सख्यं मधुरं – मित्रता मधुर है
- मधुराधिपते – हे श्रीकृष्ण (मधुराधिपति)
- अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
भावार्थ:
भगवान् कृष्ण की वेणु मधुर है, बांसुरी मधुर है चरणरज मधुर है, करकमल (हाथ) मधुर है, चरण मधुर है, नृत्य मधुर है, और सख्या (मित्रता) भी अति मधुर है। श्री मधुराधिपति कृष्ण का सभी कुछ मधुर है॥
भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ (Meaning in Hindi):
- गीतं मधुरं – श्री कृष्ण के गीत मधुर हैं
- पीतं मधुरं – पीताम्बर मधुर है
- भुक्तं मधुरं – भोजन (खाना) मधुर है
- सुप्तं मधुरम् – शयन (सोना) मधुर है
- रूपं मधुरं – रूप मधुर है
- तिलकं मधुरं – तिलक (टीका) मधुर है
- मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
- अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
भावार्थ:
श्री मधुराधिपति कृष्ण का सभी कुछ मधुर है। उनके गीत (गान) मधुर है, पान (पीताम्बर) मधुर है, भोजन मधुर है, शयन मधुर है। उनका रूप मधुर है, और तिलक (टिका) भी अति मधुर है।
हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):
- करणं मधुरं – कार्य मधुर हैं
- तरणं मधुरं – तारना मधुर है (दुखो से तारना, उद्धार करना)
- हरणं मधुरं – हरण मधुर है (दुःख हरणा)
- रमणं मधुरम् – रमण मधुर है
- वमितं मधुरं – उद्धार मधुर हैं
- शमितं मधुरं – शांत रहना मधुर है
- मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
- अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
भावार्थ:
श्री कृष्ण, श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनक कार्य मधुर है, उनका तारना, दुखो से उबरना मधुर है। दुखो का हरण मधुर है। उनका रमण मधुर है, उद्धार मधुर है और शांति भी अति मधुर है।
यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ (Meaning in Hindi):
- गुंजा मधुरा – गर्दन मधुर है
- माला मधुरा – माला भी मधुर है
- यमुना मधुरा – यमुना मधुर है
- वीची मधुरा – यमुना की लहरें मधुर हैं
- सलिलं मधुरं – यमुना का पानी मधुर है
- कमलं मधुरं – यमुना के कमल मधुर हैं
- मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
- अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
भावार्थ:
श्री कृष्ण की गुंजा मधुर है, माला भी मधुर है। यमुना मधुर है, उसकी तरंगे भी मधुर है, उसका जल मधुर है और कमल भी अति मधुर है। श्री मधुराधिपति कृष्ण का सभी कुछ मधुर है॥
युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ (Meaning in Hindi):
- गोपी मधुरा – गोपियाँ मधुर हैं
- लीला मधुरा – कृष्ण की लीला मधुर है
- युक्तं मधुरं – उनक संयोग मधुर है
- मुक्तं मधुरम् – वियोग मधुर है
- दृष्टं मधुरं – निरिक्षण (देखना) मधुर है
- शिष्टं मधुरं – शिष्टाचार (शिष्टता) भी मधुर है
- मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
- अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
भावार्थ:
श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनकी गोपिया मधुर है, उनकी लीला मधुर है, उनक सयोग मधुर है, वियोग मधुर है, निरिक्षण मधुर (देखना) है और शिष्टाचार भी मधुर है।
यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं,
मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
अर्थ (Stotra Meaning in Hindi):
- गोपा मधुरा – गोप मधुर हैं
- गावो मधुरा – गायें मधुर हैं
- यष्टिर्मधुरा – लकुटी (छड़ी) मधुर है
- सृष्टिर्मधुरा – सृष्टि (रचना) मधुर है
- दलितं मधुरं – दलन (विनाश करना) मधुर है
- फलितं मधुरं – फल देना (वर देना) मधुर है
- मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
- अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
Krishna Bhajan
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कृष्ण भक्ति
जिनका मुख मधुर मुस्कानसे विकसित है, रत्नभूषित हाथ में सुन्दर मुरली है, गलेमें परम मनोहर मणियोंका हार हैँ, कमलके समान मुख है, जो दाता है, नवघन सदृश नीलवर्ण हैं और सुन्दर गोपकुमारोंसे घिरे हुए है, उन परमपुरुष आदिनारायण श्रीकृष्णको नमस्कार करता हूँ।
जो सुवर्णमय कमलकी माला धारण करते है, केशी और कंस आदि के काल है रणभूमिमें अति विकराल है और समस्त लोकोंके प्रतिपालक है, वे बालगोपाल मेरे ह्रदय में बसे।
सज्जनोके हितकारी, परमानंदसमूहकी वर्षा करनेवाले मेघ, लक्ष्मीनिवास नन्दनन्दन श्रीगोविन्दकी मैं वन्दना करता हूँ।
जिनकी कृपा गूँगेको को वक्ता बना देती है और अपाहिज को भी पर्वत-लाँघनेमे समर्थ कर देती है, उन परमानन्द स्वरुप माधवकी मै वन्दना करता हूँ।
कंस और चाणूरका वध करनेवाले, देवकीके आनंदवर्धन, वसुदेवनन्दन, जगद्गुरु श्रीकृष्णचन्द्रकी में वन्दना करता हूँ।