सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया।
दिल दीवाना हो गया, मेरा दिल दीवाना हो गया।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया।
एक तो तेरे नैन तिरछे, दूसरा काजल लगा।
तीसरा नज़रें मिलाना, दिल दीवाना हो गया॥
सांवली सूरत पे मोहन….
एक तो तेरे होंठ पतले, दूसरा लाली लगी।
तीसरा तेरा मुस्कुराना, दिल दीवाना हो गया॥
सांवली सूरत पे मोहन….
एक तो तेरे हाथ कोमल, दूसरा मेहँदी लगी।
तीसरा मुरली बजाना, दिल दीवाना हो गया॥
सांवली सूरत पे मोहन….
एक तो तेरे पाँव नाज़ुक, दूसरा पायल बंधी।
तीसरा घुंघरू बजाना, दिल दीवाना हो गया॥
सांवली सूरत पे मोहन….
एक तो तेरे भोग छप्पन, दूसरा माखन धरा।
तीसरा खिचडे का खाना, दिल दीवाना हो गया॥
सांवली सूरत पे मोहन….
एक तो तेरे साथ राधा, दूसरा रुक्मिणी खड़ी।
तीसरा मीरा का आना, दिल दीवाना हो गया॥
सांवली सूरत पे मोहन….
एक तो तुम देवता हो, दूसरा प्रियतम मेरे।
तीसरा सपनों में आना, दिल दीवाना हो गया॥
सांवली सूरत पे मोहन….
दिल दीवाना हो गया, मेरा दिल दीवाना हो गया।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया।
Sanwali Surat Pe Mohan
Krishna Bhajan
- ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन - आध्यात्मिक महत्व
- आरती कुंज बिहारी की - श्री कृष्ण आरती - अर्थ सहित
- अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
- मेरा आपकी कृपा से, सब काम हो रहा है
- नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की (Updated)
- मधुराष्टकम - अर्थ साहित - अधरं मधुरं वदनं मधुरं
- मैं आरती तेरी गाउँ, ओ केशव कुञ्ज बिहारी
- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं - अर्थ सहित
- सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया - अर्थ सहित
- हे गोपाल कृष्ण, करूँ आरती तेरी - आध्यात्मिक महत्व
- बता मेरे यार सुदामा रे - भाई घणे दीना में आया
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय - मंत्र 108
- काली कमली वाला, मेरा यार है
- मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा बरसाए रखना
- ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला
- अरे द्वारपालों, कन्हैया से कह दो
- फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी
- देना हो तो दीजिए, जनम जनम का साथ - अर्थ सहित
- मुझे अपने ही रंग में रंगले, मेरे यार सांवरे
- नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
सांवली सूरत पे मोहन भजन का आध्यात्मिक अर्थ
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया भजन के बोल भगवान कृष्ण के प्रति गहरे प्रेम और भक्ति को व्यक्त करते हैं। यह भजन भगवान कृष्ण के मंत्रमुग्ध और मनोरम गुणों का वर्णन करता हैं, जिनसे भक्त का हृदय पूरी तरह मोहित हो जाता है।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया।
दिल दीवाना हो गया, मेरा दिल दीवाना हो गया।
आपके सांवले आकर्षक रूप को देखकर, हे मोहन (भगवान कृष्ण का एक नाम), मेरा दिल मंत्रमुग्ध हो गया। यह पंक्ति भगवान कृष्ण के मनमोहक स्वरूप को दर्शाती है। यह दर्शाता है कि भक्त का हृदय कृष्ण के स्वरूप से पूरी तरह मोहित हो गया है। यह भगवान कृष्णा के मनोरम रूप के प्रति भक्त के विस्मय और आकर्षण को व्यक्त करता है।
एक तो तेरे नैन तिरछे, दूसरा काजल लगा।
तीसरा नज़रें मिलाना, दिल दीवाना हो गया॥
यह पंक्ति कृष्ण की आकर्षक तिरछी नज़रों को उजागर करती है, जो उनके मनमोहक स्वरूप को बढ़ाती है। इसमें भक्त और भगवान कृष्ण के बीच नज़रों को मिलाने का भी उल्लेख है, जो भक्त को और मंत्रमुग्ध कर देता है।
एक तो तेरे होंठ पतले, दूसरा लाली लगी।
तीसरा तेरा मुस्कुराना, दिल दीवाना हो गया॥
यह पंक्ति कृष्ण के कोमल होठों पर लाली और उसके ऊपर उनकी मनमोहक मुस्कान का वर्णन करती है, जो उनके मनमोहक स्वरूप में चार चांद लगा देती है। ये पंक्तियाँ कान्हा की विशेषताओं के क्रम को दर्शाती हैं जो भक्त को मनोरम लगती हैं।
एक तो तेरे हाथ कोमल, दूसरा मेहँदी लगी।
तीसरा मुरली बजाना, दिल दीवाना हो गया॥
इस पंक्ति में कृष्ण के कोमल और नाज़ुक हाथों का वर्णन है और उसपर सजी मेहंदी, जो उनके अलंकरण में चार चांद लगा देती है। यह पंक्ति उनके नाजुक हाथों से बांसुरी बजाने का भी उल्लेख करती है, जो उनकी सुरुचिपूर्ण और कलात्मक विशेषताओं को व्यक्त करती है।
एक तो तेरे पाँव नाज़ुक, दूसरा पायल बंधी।
तीसरा घुंघरू बजाना, दिल दीवाना हो गया॥
सबसे पहले, आपके नाजुक पैर। फिर पायलों से श्रृंगार किया। तीसरा, घुंघरूओं की झंकार। यह पंक्ति कृष्ण के कोमल और सुंदर पैरों का वर्णन करती है, जिसमे पायल बंधी है, जो उनकी शोभा बढ़ाती है। इस पंक्ति में पायल के घुंघरू की ध्वनि का भी उल्लेख है। ये पंक्तियाँ देवता की सुन्दरता और मधुर विशेषताओं का वर्णन करती हैं।
एक तो तेरे भोग छप्पन, दूसरा माखन धरा।
तीसरा खिचडे का खाना, दिल दीवाना हो गया॥
सबसे पहले, आपका छप्पन व्यंजनों का प्रसाद, फिर, मक्खन के प्रति आपका प्रेम, और तीसरा, खिचड़ी के पकवान का स्वाद लेना।
यह पंक्ति भक्ति के प्रतीक के रूप में भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को संदर्भित करती है। यह पंक्ति भगवान कृष्ण के मक्खन के प्रति प्रेम को भी उजागर करती है, यह विशेषता अक्सर उनके साथ जुड़ी हुई है। तीसरा खीचड़े का खाना साधारण भोजन के प्रति भी भगवान कृष्ण की सराहना को दर्शाता है। ये पंक्तियाँ भगवान कृष्ण के विभिन्न प्रकार के भोजन के प्रति प्रेम को दर्शाती हैं, जो उनके भक्तों के साथ उनके घनिष्ठ संबंध का प्रतीक हैं।
एक तो तेरे साथ राधा, दूसरा रुक्मिणी खड़ी।
तीसरा मीरा का आना, दिल दीवाना हो गया॥
सबसे पहले तो राधा आपके साथ है. फिर, रुक्मिणी है। तीसरा, मीरा की उपस्थिति। यह पंक्ति भगवान कृष्ण और राधा, जो कृष्ण की कहानियों में एक केंद्रीय पात्र हैं, के बीच साहचर्य पर प्रकाश डालती है। इसमें भगवान कृष्ण की एक पत्नी रुक्मिणी का भी उल्लेख है। और फिर यह भगवान कृष्ण की समर्पित भक्त मीरा को संदर्भित करती है। ये पंक्तियाँ भगवान कृष्ण के जीवन में विभिन्न प्रिय विभूतियों की उपस्थिति का वर्णन करती हैं।
एक तो तुम देवता हो, दूसरा प्रियतम मेरे।
तीसरा सपनों में आना, दिल दीवाना हो गया॥
पहले तो तुम देवता हो। फिर, तुम मेरे प्रिय हो. तीसरा, स्वप्न में कृष्ण का आना।
इस पंक्ति में भगवान कृष्ण के दिव्य स्वरूप और एक भक्त के सपने में उनके प्रकट होने का वर्णन है। यह भक्त और भगवान कृष्ण के बीच एक व्यक्तिगत और अंतरंग संबंध को व्यक्त करता है। ये पंक्तियाँ भगवान कृष्ण के दिव्य देवता और भक्त के प्रिय स्वरूप दोनों की दोहरी प्रकृति पर जोर देती हैं।
संक्षेप में, ये भजन गीत भगवान कृष्ण के प्रति भक्त के गहरे प्रेम को व्यक्त करता हैं, भगवान के प्रति आकर्षण और भक्ति की भावना को भी व्यक्त करता हैं, जो अक्सर भगवान कृष्ण से जुड़े होते हैं।
भजन की पंक्तियाँ कृष्ण के मनोरम गुणों, साथियों और दिव्य गुणों पर प्रकाश डालता हैं और भक्त के हृदय पर उनके प्रभाव को व्यक्त करने के लिए विभिन्न काव्यात्मक वर्णनों का उपयोग करती हैं।
Krishna Bhajan
- मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे
- माखन दूँगी रे साँवरिया, थोड़ी बंसी तो बजा
- श्याम बंसी बजाते हो, या मुझे बुलाते हो
- मुकुट सिर मोर का, मेरे चित चोर का
- छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल
- कान्हा रे थोडा सा प्यार दे
- दूर नगरी, बड़ी दूर नगरी
- मुझे चरणों से लगा ले, मेरे श्याम मुरली वाले
- जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम
- बांके बिहारी मुझको देना सहारा
- श्री बांके बिहारीजी की आरती - श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊँ
- नजर में रहते हो, मगर तुम नजर नहीं आते
- फसी भंवर में थी मेरी नैया
- सांवरे को दिल में बसा कर तो देखो
- साँचा नाम तेरा, तू श्याम मेरा
- आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले
- हर साँस में हो सुमिरन तेरा
- ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे
- श्यामा तेरे चरणों की, गर धूल जो मिल जाए
- गोविन्द जय-जय गोपाल जय-जय
- मेरी लगी श्याम संग प्रीत
- आओ मेरी सखियो, मुझे मेहंदी लगा दो
- यह तो प्रेम की बात है उधो
- राधे राधे जपा करो, कृष्ण नाम रस पिया करो