श्याम रंग में रंगी चुनरिया, अब रंग दूजो भावे ना

Shyam Rang Me Rangi Chunariya – Lyrics in Hindi

श्याम रंग में रंगी चुनरिया

श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।

श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥


बंसी वारे मोहन प्यारे,
छोड़ गए क्यों यमुना किनारे।
भक्त तुम्हारे बाट निहारे,
नैनन झरते असुवन धारे॥

लाग रही मन में दर्शन की,
और लगन यह जावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥

श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥


बोझा भारी रैन अँधियारी,
सूझत नाही, राह किनारी।
नाथ हमारे ओ त्रिपुरारी,
तारो या डारो मझधारी॥

तुम ही राह बता दो मोहन,
और कोई बतलावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥

श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥

श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।


Shyam Rang Me Rangi Chunariya

Seema Mishra


Krishna Bhajan



श्याम रंग में रंगी चुनरिया भजन का आध्यात्मिक महत्व

श्याम रंग में रंगी चुनरिया भजन एक व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास की यात्रा का वर्णन करता है। जब कोई व्यक्ति कृष्ण के प्रेम में पड़ता है, तो वह सांसारिक आकर्षणों से दूर हो जाता है। वह कृष्ण में अपना सर्वस्व खो देता है और केवल कृष्ण में आनंद पाता है।

श्याम रंग में रंगी चुनरिया, अब रंग दूजो भावे ना

भजन की पंक्तियों में बताया गया है भक्त जब कृष्ण के प्रेम में डूब जाता है तो उसे किसी और चीज के प्रति आकर्षण नहीं होता है। वह कहता है कि उसकी चुनरी कृष्ण के रंग में रंगी हुई है, इसलिए वह अब किसी और रंग को पसंद नहीं करेगा। वह अपनी आंखों में कृष्ण को समाए हुए है, इसलिए वह किसी और को देखने के लिए इच्छुक नहीं है।

श्याम रंग में रंगी चुनरिया, अब रंग दूजो भावे ना अर्थात भक्त की चुनरी कृष्ण के प्रेम के रंग में रंग गई है। यह प्रेम इतना गहरा है कि भक्त किसी और रंग को पसंद नहीं करेगा। वह कृष्ण के रंग में इतना डूब गया है कि वह सांसारिक आकर्षणों को नहीं देख सकता है।

भक्त की चुनरी, या दुपट्टा, उसके शरीर और मन का प्रतीक है। जब वह कहता है कि यह कृष्ण के रंग में रंग गया है, अर्थात कृष्ण के प्रति उसके प्रेम ने उसका शरीर और मन पूरी तरह से बदल दिया है। उसे अब दुनिया की किसी भी चीज़ में कोई दिलचस्पी नहीं है।

इन नैनन में श्यामा समायो, और दुसरो आवे ना – भक्त की आंखों में कृष्ण समा गए हैं। यह प्रेम इतना शक्तिशाली है कि भक्त किसी और को देखने के लिए इच्छुक नहीं है। वह अपनी आंखों में केवल कृष्ण को देखता है।

इन नैनन में श्यामा समायो, और दुसरो आवे ना

भक्त की आंखें उसकी आंतरिक दृष्टि का प्रतीक हैं। जब वह कहता है कि कृष्ण उसकी आँखों में बस गए हैं, यानी कि अब वह जहाँ भी देखता है, कृष्ण को ही देखता है। उसे अब दुनिया में और कुछ भी देखने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

भक्त कृष्ण के प्रेम में इतना डूब गया है कि वह किसी और चीज के बारे में सोचना नहीं चाहता है। वह केवल कृष्ण को देखना, सुनना, और महसूस करना चाहता है। वह कृष्ण के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता।

इस भजन का संदेश यह है कि कृष्ण से प्रेम आध्यात्मिक विकास की यात्रा में आगे बढ़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वो हमें सांसारिक आकर्षणों से दूर कर सकता है। यह भजन एक आदर्श भक्त की स्थिति का वर्णन करता है। यह भक्त की आध्यात्मिक परिपक्वता और उसके कृष्ण-प्रेम की गहराई को दर्शाता है।


Krishna Bhajan