सुख के सब साथी, दुःख में न कोई
सुख के सब साथी, दुःख में न कोई।
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम एक सांचा, दूजा ना कोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
जीवन आनी-जानी छाया,
झूठी माया, झूठी काया।
फिर काहे को सारी उमरिया,
पाप की गठरी ढोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,
यह जग जोगी वाला फेरा।
राजा हो या रंक सभी का,
अंत एक सा होई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
बाहर की तू माटी फांके,
मन के भीतर क्यूँ ना झांके।
उजले तन पर मान किया,
और मन की मैल ना धोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
सुख के सब साथी, दुःख में न कोई।
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम एक सांचा दूजा ना कोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
Sukh Ke Sab Sathi, Dukh Me Na Koi
Mohammed Rafi
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आये हैं दुनिया में जो खाली हाथ जाएंगे।
नेकी पर चलते रहे तो वोही मुक्ति पाएंगे॥
साथ न जाएंगे साथी और दौलत के अंबार।
खोया जीवन जिनके पीछे वह न दिल बहलाएंगे॥
जिधर देखो सामने है मोह ममता की दीवार।
पार कर लेंगे जो इसे वो न ठोकर खाएंगे॥
लोभ में फंसकर जिन्होंने पाप जीवन में किए।
हाथ मलमल के सभी वो अंत में पछताएंगे॥
लाखों लोगों का जहां से मिट गया नामो निशां।
कुछ है किस्से नेकी के जो लोग फिर दोहराएंगे॥
है सभी स्वार्थ के बंदे, कोई भी अपना नहीं।
जब समां निकला तो वही सब के सब ठुकराएंगे।
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