सुन्दरकाण्ड के प्रसंग की लिस्ट
हनुमानजी का लंका की ओर प्रस्थान
- हनुमानजी वानरों को समझाते है
- श्रीराम का कार्य करने पर मन को ख़ुशी मिलती है
- हनुमानजी ने एक पहाड़ पर भगवान् श्रीराम का स्मरण किया
- हनुमानजी, श्रीराम के बाण जैसे तेज़ गति से, लंका की ओर जाते है
- समुद्र ने मैनाक पर्वत को हनुमानजी की सेवा के लिए भेजा
- मैनाक पर्वत हनुमानजी से विश्राम करने के लिए कहता है
- प्रभु राम का कार्य पूरा किये बिना विश्राम नही
- देवताओं ने नागमाता सुरसा को भेजा
- सुरसा ने हनुमानजी का रास्ता रोका
- हनुमानजी ने सुरसा को समझाया कि वह उनको नहीं खा सकती
- सुरसा ने कई योजन मुंह फैलाया, तो हनुमानजी ने भी शरीर फैलाया
- सुरसा ने मुंह सौ योजन फैलाया, तो हनुमानजी ने छोटा सा रूप धारण किया
- सुरसा को हनुमानजी की शक्ति का पता चला
- सुरसा, हनुमानजी को प्रणाम करके चली जाती है
- समुद्र में छाया पकड़ने वाला राक्षस
- हनुमानजी ने मायावी राक्षस के छल को पहचाना
- हनुमानजी समुद्र के पार पहुंचे
- हनुमानजी लंका पहुंचे
- भगवान् शंकर पार्वतीजी को श्रीराम की महिमा बताते है
- लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन
- लंका नगरी और उसके महाबली राक्षसों का वर्णन
- लंका के बाग-बगीचों का वर्णन
- लंका के राक्षसों का बुरा आचरण
- हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है
लंकिनी का प्रसंग और ब्रह्माजी का वरदान
- हनुमानजी राम नामका स्मरण करते हुए लंका में प्रवेश करते है
- हनुमानजी लंकिनी को घूँसा मारते है
- लंकिनी हनुमानजी को प्रणाम करती है
- ब्रह्माजी के वरदान में राक्षसों के संहार का संकेत
- थोड़े समय का सत्संग – स्वर्ग के सुख से बढ़कर है
- प्रभु श्रीराम को निरंतर स्मरण करने के फायदे
- हनुमानजी, छोटा सा रूप धरकर, लंका में प्रवेश करते है
- हनुमानजी, रावण के महल तक पहुंचे
- हनुमानजी, सीताजी की खोज करते करते, विभीषण के महल तक पहुंचे
- विभीषण के महल का वर्णन – श्रीराम के चिन्ह और तुलसी के पौधे
- राक्षसों की नगरी में, सत-पुरुष को देखकर, हनुमानजी को आश्चर्य हुआ
- हनुमानजी, विभीषण को, राम नाम का जप करते देखते है
- हनुमानजी ब्राह्मण का रूप धारण करते है
- विभीषण हनुमानजी से उनके बारे में पूछते है
- हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है
- विभीषण हनुमानजी को अपनी स्थिति बताते है
- बिना भगवान् की कृपा के सत्पुरुषों का संग नहीं मिलता
हनुमानजी द्वारा प्रभु श्री राम के गुणों का वर्णन
- प्रभु श्री राम भक्तों पर सदा दया करते है
- हनुमानजी कहते है, श्री राम ने वानरों पर भी कृपा की है
- भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण
- भगवान् को भूलने पर, इंसान के जीवन में दुःख का आना
- विभीषण हनुमानजी को माता सीता के बारे में बताते है
- हनुमानजी अशोकवन जाते है
- सीताजी का राम के गुणों का स्मरण करना
- माता सीता का मन, श्री राम के चरणों में
अशोक वाटिका में रावण और सीताजी का संवाद
- रावण का अशोकवन में आना
- रावण सीताजी को भय दिखाता है
- सीताजी तिनके का परदा बना लेती है
- सीताजी रावण को श्रीराम के बाण की याद दिलाती है
- रावण को क्रोध आता है
- रावण सीताजी को कृपाण से भय दिखाता है
- माता सीता के कठोर वचन
- माता सीता तलवार से प्रार्थना करती है
- मंदोदरी रावण को समझाती है
- रावण राक्षसियों को आदेश देता है
- राक्षसियाँ सीताजी को डराने लगती है
- रामचन्द्रजीके चरनोंकी भक्त, निपुण और विवेकवती त्रिजटा
- त्रिजटा अन्य राक्षसियों को स्वप्न के बारे में बताती है
- स्वप्न में रामचन्द्रजी की लंका पर विजय
- स्वप्न सुनकर राक्षसियाँ डर जाती है
- सीताजी मन में सोचने लगती है
- माता सीता, त्रिजटा को, श्रीराम से विरहके दुःख के बारे में बताती है
- सीताजी का दुःख
- त्रिजटा सीताजी को सांत्वना देती है
सीताजी को प्रभु राम से विरह का दुःख
- आसमान के तारे
- चन्द्रमा और अशोक वृक्ष
- सीताजी को दुखी देखकर हनुमानजी को दुःख होता है
प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी)
- हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है
- माता सीता अंगूठी को देखती है
- सीताजी अंगूठी कहाँ से आयी यह सोचती है
- हनुमानजी पेड़ पर से ही श्री राम की कथा सुनाते है
माता सीता और हनुमानजी का संवाद
- सीताजी हनुमान को सामने आने के लिए कहती है
- हनुमानजी, माता सीता को अपने बारें में और अंगूठी के बारें में बताते है
- सीताजी हनुमानजी से पूछती है की श्री राम उनसे कैसे मिले
- सीताजी को विश्वास हो जाता है की हनुमानजी श्री राम के भक्त है
- माता सीता हनुमानजी को धन्यवाद देती है
- सीताजी प्रभु श्री राम के बारें में पूछती है
- भगवान राम की कृपा से भक्त सदा सुखी
- सीताजी का दुःख
- हनुमानजी श्री राम के बारें में बताते है
- बजरंगबली श्री राम का संदेशा सुनाते है
प्रभु श्री रामचन्द्रजी का संदेशा
- श्री राम का माता सीता के लिए संदेशा
- प्रभु राम का सीताजी के लिए संदेशा
- श्री रामचन्द्रजी अपनी स्थिति बताते है
- सीताजी संदेशा सुनकर भगवान् राम को स्मरण करती है
हनुमानजी और माता सीता का संवाद
- हनुमानजी माता सीता को धैर्य धरने के लिए कहते है
- भगवान् राम के बाणों से राक्षसों का संहार हो जायेगा
- अंधकार जैसे राक्षस और सूर्य जैसे श्री राम के बाण
- हनुमानजी भगवान् राम की आज्ञा के बारें में कहते है
- हनुमानजी का छोटा रूप देखकर माता सीता को वानर सेना पर शंका
- हनुमानजी सीताजी को अपना विशाल स्वरुप दिखाते है
- बजरंगबली का विशाल रूप देखकर सीताजी को वानर सेना पर विश्वास
- प्रभु राम की कृपा से सब कुछ संभव
- माता सीता का हनुमानजी को आशीर्वाद
- हनुमानजी – अजर, अमर और गुणों के भण्डार
- हनुमानजी माता सीता को प्रणाम करते है
अशोकवन के फल और राक्षसों का संहार
- हनुमानजी अशोकवन में लगे फलों को देखते है
- हनुमानजी सीताजी से आज्ञा मांगते है
- प्रभु श्री राम के चरणों में मन रखकर कार्य करें
- हनुमानजी फल खाते है और कुछ राक्षसों का संहार करते है
- राक्षस रावण को हनुमानजी के बारे में बताते है
- रावण और राक्षसों को भेजता है
- रावण अक्षय कुमार को भेजता है
- हनुमानजी अक्षय कुमार का संहार करते है
मेघनाद और ब्रह्मास्त्र का प्रसंग
- रावण मेघनाद को भेजता है
- मेघनाद हनुमानजी को बंदी बनाने के लिए आता है
- हनुमानजी ने मेघनाद के रथ को नष्ट किया
- हनुमानजी ने मेघनाद को घूंसा मारा
- मेघनाद हनुमानजी से जीत नहीं पाया
- मेघनादने ब्रम्हास्त्र चलाया
- मेघनाद हनुमानजी को बंदी बनाकर रावणकी सभा में ले जाता है
- हनुमानजी ने अपने आप को क्यों ब्रह्मास्त्र में बँधा लिया?
- हनुमानजी रावण की सभा देखते है
- रावण की सभा का वर्णन
- रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है
- रावण हनुमानजीसे उनके बारे में पूछता है?
- हनुमानजी श्री राम के बारे में बताते है
- श्री राम का बल और सामर्थ्य
- भगवान राम के अवतार का कारण
- रावण का साम्राज्य, भगवान् राम के बल के थोड़े से अंश के बराबर
- रावण का सहस्रबाहु और बालि से युद्ध
- हनुमानजी ने अशोकवन क्यों उजाड़ा?
- हनुमानजी ने राक्षसों को क्यों मारा?
- ईश्वर से कभी बैर नहीं करना चाहिए
- हनुमानजी रावण को भगवान् की शरण में जाने के लिए कहते है
- श्रीराम को मन में धारण करके कार्य करें
- राम नाम बिना वाणी कैसी लगती है
- राम नाम भूलने का क्या परिणाम होता है
- भगवान् राम से भूलने वाले की क्या गति होती है
- अभिमान और अहंकार त्याग कर भगवान् की शरण में
- हनुमानजी के सच्चे वचन अहंकारी रावण की समझ में नहीं आते है
- रावण हनुमानजी को डराता है
- रावण हनुमानजी को मारने का हुक्म देता है
- विभीषण रावणको दुसरा दंड देने के लिए समझाता है
- रावण हनुमानजी को दुसरा दंड देने का सोचता है
- राक्षस हनुमानजी की पूंछ में आग लगाने का सुझाव देते है
हनुमानजी की पूँछ में राक्षसों द्वारा आग लगाने का प्रसंग
- रावण हनुमानजी की पूँछ में आग लगाने का हुक्म देता है
- राक्षस हनुमानजी की पूँछ में आग लगाने की तैयारी करते है
- हनुमानजी पूँछ लम्बी बढ़ा देते है
- राक्षस हनुमानजी की पूँछ में आग लगा देते है
- हनुमानजी छोटा रूप धरकर बंधन से छूट जाते है
- हनुमानजी का विशाल रूप और गर्जना
- हनुमानजी एक महल से दूसरे महल पर जाते है
- राक्षस लोग समझ जाते है की हनुमानजी देवता का रूप है
- लंका नगरी जल जाती है
- सिर्फ विभीषण का घर क्यों नहीं जलता है?
- हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है
माता सीता का प्रभु राम के लिए संदेशा
- सीताजी हनुमानजीको पहचान का चिन्ह देती है
- सीताजी श्री राम के लिए संदेशा देती है
- माता सीता का श्रीराम को संदेशा
- सीताजी को हनुमानजी के जाने का दुःख
- हनुमानजी माता सीता को प्रणाम करते है
- हनुमानजी लंका से वापिस आते है
- हनुमानजी का तेज देखकर वानर हर्षित होते है
- हनुमानजी के साथ सभी वानर श्री राम के पास जाते है
- वानरों का मधुवन के फल खाना
- वन के रखवाले सुग्रीव से शिकायत करते है
- सुग्रीव मन ही मन खुश होते है
- सभी वानर सुग्रीव के पास आते है
- वानर सुग्रीव को हनुमानजी के कार्य के बारे में बताते है
- वानरसेना प्रभु राम के पास जाती है
- सभी वानर भगवान् राम को प्रणाम करते है
जाम्बवान और प्रभु श्री राम का संवाद
- ईश्वर की कृपा से भक्त का निरंतर कुशल
- भगवान् की कृपा का फल
- जाम्बवान श्री राम को हनुमानजी के कार्य के बारें में बताते है
हनुमानजी और प्रभु श्री राम का संवाद
- भगवान् राम हनुमानजी से माता सीता के बारें में पूछते है
- हनुमानजी माता सीता के बारें में बताते है
- भगवान् का ध्यान किस प्रकार करें
- हनुमानजी प्रभु राम को सीताजी की चूड़ामणि देते है
सीताजी का प्रभु राम के लिए संदेशा
- हनुमानजी श्री राम को सीताजी का संदेशा सुनाते है
- माता सीता का संदेशा
- भगवानके दर्शन की प्यास
- सीताजी की लंका में स्थिति
- सीताजी को प्रभु से विरह का दुःख
- प्रभुकी शरण में आये हुए को दुःख नहीं
- भगवान को भूलने पर मनुष्य को दुःख
- प्रभु राम बजरंगबली की प्रशंसा करते है
- रामभक्त हनुमान के प्रभु राम ऋणी
- हे प्रभु राम, हमारी रक्षा करो
- शिव के अंशावतार हनुमानजी की श्री राम भक्ति
- श्री राम ने हनुमान जी को गले से लगाया
- रामचन्द्रजी लंका दहन के बारें में पूछते है
- हनुमानजी लंका दहन के बारें में बताते है
- सभी कार्य ईश्वर की कृपा से
- भगवान् की कृपा से सब कुछ संभव
श्री रामजी का वानरों की सेना के साथ समुद्र तट पर जाना
- छंद – Sunderkand
- छंद – Sunderkand
अहंकारी रावण और उसके अज्ञानी मंत्री
विभीषण का प्रभु श्रीरामकी शरण के लिए प्रस्थान
विभीषण वानरसेना के पास पहुंचते है
भगवान रामकी शरण में कौन जा सकता है
विभीषण को भगवान रामकी शरण प्राप्ति
प्रभु श्री रामचंद्रजी की महिमा
विभीषण की भगवान् रामसे प्रार्थना
- समुद्र पार करने के लिए विचार
- रावणदूत शुक का आना
- लक्ष्मणजी के पत्र को लेकर रावणदूत का लौटना
- दूत का रावण को समझाना
- रावणदूत शुक का रावण को समझाना
- समुद्र पर श्री रामजी का क्रोध
- समुद्र पर श्री रामजी का क्रोध
- समुद्र की श्री राम से विनती
- मंगलाचरण – सुंदरकाण्ड
सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ के लिए
इस पोस्ट में सुंदरकांड के दोहे और चौपाई अर्थ सहित दिए गए है।
लेकिन यदि आपको सिर्फ सुंदरकांड पाठ करना है, तो उसके लिए अलग पेज दिया गया है, जिसमें –
सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ के लिए सभी दोहे और चौपाइयां सिर्फ एक पेज में दी गयी है।
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सुंदरकांड – सरल अर्थ सहित
सुंदरकाण्ड रामायण और रामचरितमानस का एक सोपान अर्थात भाग है और इस सोपान में, हनुमानजी की शक्ति और सफलता को याद किया जाता है।
सुन्दरकांड में 526 चौपाइयाँ, 60 दोहे, 6 छंद और 3 श्लोक है। सुन्दरकांड में 5 से 7 चौपाइयों के बाद 1 दोहा आता है।
महाकाव्य रामायण में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामायण कथा श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। किन्तु सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो सिर्फ हनुमानजी की शक्ति और विजय का कांड है।