तेरे मंदिरों मे अमृत बरसे माँ
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ,
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ
तेरे भक्तों के मन की प्यास बुझी,
अब रूह किसी की ना तरसे माँ
तेरे मंदिरों मे अमृत बरसे माँ,
तेरे मंदिरों मे अमृत बरसे माँ
भक्ति के सागर में
भक्तो ने आज लगाये गोते
इस अमृत में भीग के कागा,
हंस है छिन में होते
वो लोग बड़े ही बदकिस्मत,
जो आज ना निकले घर से माँ
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ,
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ
नाम के रस की इस धारा में
आत्मा जब है बहती
जग की नश्वर चीजों की
फिर तलब उसे ना रहती
कहीं और यह मस्ती मिलती नहीं,
जो मिलती है तेरे दर से माँ
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ,
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ
इन छीटों से जन्म जन्म की
मैल सभी धुल जाती
मिट जाता अन्धकार दिलों का,
आँखे है खुल जातीं
शैतान भी साधू बनते सुने,
तेरे नाम की मस्त लहर से माँ
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ,
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ,
तेरे मंदिरो में अमृत बरसे माँ
तेरे भक्तों के मन की प्यास बुझी,
अब रूह किसी की ना तरसे माँ
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ,
तेरे मंदिरों में अमृत बरसे माँ
Tere Mandiro Mein Amrit Barse Maa
Durga Bhajan
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